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हूप विधि द्वारा ऐलूमिनियम धातु के शोधन का वर्णन कीजिए। 

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ऊष्मागतिकी सिद्धान्त के अनुसार पायरोधातुकर्म (Pyrometallurgy) अर्थात् उच्च ताप कम क्रियाशील धातुओं के ऑक्साइडों के अपचयन में अत्यधिक उपयोगी होता है किन्तु अधिक क्रियाशील धातुओं जैसे-ऐलुमीनियम Al, मैग्नीशियम Mg, सोडियम Na आदि के लिए उपयोगी नहीं होता है क्योंकि ये धातुएँ स्वतः प्रबल अपच्चायक होती है। इनके मानक अपचयन विभव E° के मान उच्च ऋणात्मक होते हैं। अतः ऐसी धातुओं के गलित लवण का अपचयन विद्युत् अपघटन द्वारा किया जा सकता है।

इसे मानक गिब्स मुक्त ऊर्जा समीकरण से समझाया जा सकता है:

\(\triangle G^\circ = -nFE^\circ\)

जहाँ n = अपचयन के दौरान स्थानान्तरित इलेक्ट्रॉनों की संख्या

E° =  निकाय के रेडॉक्स युग्म का इलेक्ट्रोड विभव

F = प्रवाहित आवेश का परिमाण F = 96500C लगभग 

अधिक क्रियाशील धातुओं के इलेक्ट्रोड विभव  के उच्च ऋणात्मक मानों के कारण ∆G के संगत मान धनात्मक हो जाते हैं।

अतः उपर्युक्त धातुओं का पृथक्करण कराने के लिए अशुद्ध गलित धातु विलयनों का विद्युत् अपघटनी अपचयन कराया जाता है। विलयन में उपस्थित सक्रिय धातु धनायनों का अपचयन होता है तथा ये कैथोड पर निक्षेपित (Deposit) हो जाती हैं।

उत्पादित या प्राप्त धातु की क्रियाशीलता (reactivity) के आधार पर उपयुक्त पदार्थों के इलेक्ट्रोडों का प्रयोग किया जाता है। जिससे कि रेडॉक्स युग्म का इलेक्ट्रोड विभव  E° धनात्मक हो जाए एवं परिणामस्वरूप ∆G के ऋणात्मक हो जाने से अधिक क्रियाशील धातु विलयन में तथा कम क्रियाशील धातु विलयन से बाहर निकल जाती है।

उदाहरणार्थ:

CU2+ (aq) + Fe(s) → CU(s) + Fe2+(aq)

दूसरे शब्दों में यह कह सकते हैं कि विद्युत् रासायनिक श्रेणी में ऊपर स्थित धातुएँ अपने से नीचे स्थिर धातु को उसके विलयन में से विस्थापित कर देती हैं।

ऐल्यूमीनियम का उत्पादन: हॉल-हैराउल्ट प्रक्रम (Production of Aluminium-Hall-Heroult's Process)

ऐल्यूमीनियम को शुद्ध ऐलुमिना Al2O3  में क्रायोलाइट NA3IF6 या कैल्शियम फ्लोराइड CaF2 मिलाकर विलयन का विद्युत अपघटन करके प्राप्त किया जाता है।

शुद्ध ऐलुमिना में क्रायोलाइट मिलाने के निम्न कारण हैं:

  1. यह विद्युत-अपघट्य के गलनांक को कम कर देता है।
  2. यह चालकता में वृद्धि कर देता है।
  3. यह संक्षारण की समस्या को दूर कर देता है।

इस प्रक्रमं में,

  1. कैथोड: कार्बन की परत युक्स स्टील का पात्र जो कि लोहे के टेंक पर होती है।
  2. ऐनोड: ग्रेफाइट की छड़
  3. वैद्युत अपघट्य - ऐलुमिना + क्रायोलाइट + फ्लोरस्पार

वैद्युत अपघटन के दौरान ऐल्यूमीनियम धातु कैथोड पर एकत्र हो जाती है तथा ऑक्सीजन गैस ऐनोड पर एकत्र होती है, जहाँ ऐनोड पर ऑक्सीजन गैस् कार्बन से क्रिया करके CO तथा CO2 बनाती है। इस प्रकार ऐल्यूमीनियम के प्रत्येक किलोग्राम के उत्पादन के लिए कार्बन ऐनोड का लगभग 0.5 किलोग्राम कार्बन जल जाता है। इस कारण समय-समय पर ऐनोड को बदलने की आवश्यकता होती है। प्रक्रम के दौरान होने वाली अभिक्रियाएँ निम्नवत हैं।

कैथोड: Al3+ (गलित) + 3e- → Al(1)

ऐनोड: CS + O2- (गलित) → CO(g) + 2e-      

वैद्युत अपघटन

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