(अ) घटता क्रम निम्न प्रकार है:
CH3 CHCH3 < CH3CHO < HCHO
(ब) कार्बोक्सिलिक अम्ल के अणुओं के मध्य अन्तर आण्विक हाइड्रोजन आबन्ध ऐल्कोहॉल अणुओं के मध्य उपस्थित H-आबन्धन की तुलना में अधिक प्रबल होते हैं। क्योंकि कार्बोक्लिक अम्ल में O - H आबन्ध के समीप आर्बोनिल समूह उपस्थित होता है।, इसलिए कार्बोक्सिलिक अम्ल का O - H आबन्ध ऐल्कोहॉल के O - H आबन्ध से अधिक ध्रुवित होता है। कार्बोक्सिलिक अम्ल के अणु से ध्रुवणता के कारण कार्बोनिल समूह के ऑक्सीजन पर ऋणावेश आ जाता है। यह ऋणावेशित ऑक्सीजन अन्य अम्ल अणु के धनावेशित हाइड्रोजन के साथ हाइड्रोजन आबन्ध बनाने की क्षमता रखता है। इसी कारण ठोस अवस्था तथा वाष्प अवस्था में भी कार्बोक्सिलिक अम्लों के अणु संगुणित रहते हैं।