(a) कार्बोक्सिलिक अम्ल फीनॉल से अधिक अम्लीय होते हैं क्योंकि फीनॉल के आयनन से प्राप्त फीनॉक्साइड आयन में अनुनाद की तुलना में कार्बोक्सिलिक अम्ल के आयनन से प्राप्त कार्बोक्सिलेट आयन (RCOO-) में अनुनादी सरचनाएँ समतुल्य होती है।

(b) एल्डिहाइड नाभिक स्नेही योगात्मक अभिक्रियाओं के प्रति कीटोन की तुलना में अधिक क्रियाशील होते हैं क्योंकि एल्डिहाइड में कार्बोनिल समुह के कार्बन से केवल एक एल्किल समुह जुड़ा होता है, जबकि कीटोन में दो एल्किल समुह जुड़े होते हैं, जिससे + I प्रभाव के कारण कार्बोनिल कार्बन पर धनावेश कम हो जाता है। जिससे कारण नाभिक स्नेही के आक्रमण की सम्भावना कम हो जाती है।