भारत में चाय की कषि विश्व के चाय उत्पादक राष्ट्रों में भारत का प्रथम स्थान है। इस देश में विश्व की लगभग 21.1 प्रतिशत चाय उत्पादित की जाती है, जबकि विश्व के चाय निर्यातक देशों में भारत का विश्व में श्रीलंका व चीन के बाद तीसरा स्थान है।
चाय एक रोपण फसल है तथा इसका उपयोग पेय पदार्थ के रूप में किया जाता है। चाय उष्ण आर्द्र तथा उपोष्ण आर्द्र कटिबन्धीय जलवायु वाले ढालू भू-भागों पर पैदा की जाती है। इसकी कृषि के लिए अच्छे अपवाह वाली जीवांश प्रधान मिट्टी की आवश्यकता होती है।
भारत में चाय की कृषि सन् 1840 में असम राज्य की ब्रह्मपुत्र घाटी में सबसे पहले प्रारम्भ की गई। वर्तमान में भी ब्रह्मपुत्र घाटी चाय उत्पादन की दृष्टि से भारत का सर्वप्रमुख क्षेत्र है। वर्तमान में असम राज्य में देश की 50 प्रतिशत से अधिक चाय प्रतिवर्ष उत्पादित की जाती है। इस राज्य के कुल बोये गये क्षेत्र के 53.2 प्रतिशत भाग पर चाय की कृषि की जाती है।बाद में चाय की कृषि पश्चिम बंगाल के उपहिमालयी क्षेत्रों (दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी तथा पूचबिहार जिले) में भी प्रारम्भ की गयी। वर्तमान में पश्चिमी बंगाल में देश की लगभग एक-चौथाई चाय प्रतिवर्ष उत्पादित की जाती है। दक्षिणी भारत में चाय की कृषि पश्चिमी घाट की नीलगिरी तथा इलायची की पहाड़ियों के निचले ढालों (तमिलनाडु तथा केरल राज्य) पर भी प्रमुखता से की जाती है।

भारत में चाय तथा कॉफी उत्पादन के प्रमुख क्षेत्र
भारत में कॉफी की कृषि कॉफी एक उष्ण कटिबन्धीय रोपण कृषि है। कॉफी की तीन किस्में अरेबिका, रोबस्ता तथा लिबेरिका उत्पादित की जाती हैं। भारत में प्रमुख रूप से अरेबिका किस्म की कॉफी उत्पादित की जाती है। भारत में विश्व के कुल कॉफी उत्पादन का लगभग 3.7 प्रतिशत भाग उत्पादित किया जाता है। विश्व के कॉफी उत्पादक राष्ट्रों में भारत का सातवाँ स्थान है।
कर्नाटक भारत में कॉफी उत्पादन करने वाला अग्रणी राज्य है, जहाँ भारत की दो-तिहाई से अधिक कॉफी उत्पादित की जाती है। केरल तथा तमिलनाडु भारत में कॉफी उत्पादन करने वाले अन्य प्रमुख राज्य हैं। कर्नाटक, केरल व तमिलनाडु राज्यों में पश्चिमी घाट की उच्च भूमि पर कॉफी की कृषि प्रमुखता से की जाती है।