वर्षा जल संग्रहण से आशय: वर्षा जल संग्रहण एक ऐसी विधि है जिसके द्वारा विभिन्न उपयोगों के लिए वर्षा के जल को रोका व एकत्रित किया जाता है। यह एक ऐसी कम मूल्य और पारिस्थितिकी अनुकूल विधि है जिसके द्वारा वर्षा जल की प्रत्येक बूंद को संरक्षित करने के लिए वर्षा जल को नलकूपों, गड्ढों तथा कुओं में इकट्ठा किया जाता है।
वर्षा जल संग्रहण की प्रचलित विधियाँ: देश के विभिन्न भागों में लम्बे समय से वर्षा जल संग्रहण की विभिन्न विधियों का उपयोग किया जा रहा है, जिनमें निम्नलिखित तीन विधियाँ उल्लेखनीय हैं।
1. टाँका - राजस्थान के अर्द्धशुष्क तथा शुष्क क्षेत्रों में स्थित बस्तियों में परम्परागत रूप से एक वर्षा जल संग्रहण ढाँचे का उपयोग किया जाता है। टाँका या कुंड के नाम से प्रसिद्ध यह वर्षा जल संग्रहण ढाँचा वस्तुतः एक ढकी हुई भूमिगत टंकी होती है, जिसका निर्माण घर में या घर के पास वर्षा जल को एकत्र करने के उद्देश्य से किया जाता है।
2. तालाब एवं झील - ग्रामीण क्षेत्रों में परम्परागत रूप से वर्षा जल संग्रहण के लिए धरातलीय संरचनाएँ; जैसे-तालाब एवं झीलों का उपयोग किया जाता है।
3. जल संभर प्रबन्धन द्वारा प्रस्तर कूप व चैक डैम निर्मित कर जल संग्रहण।
4. सर्विस कूपों द्वारा घरों की छतों से वर्षा जल का संग्रहण।
5. पुनर्भरण कूपों द्वारा वर्षा जल का संग्रहण।