नियोजन के उपगमन सामान्यतया नियोजन के दो प्रमुख उपगमन होते हैं:
1. खण्डीय (Sectoral) नियोजन
2. प्रादेशिक (Regional) नियोजन।
(i) खण्डीय नियोजन खण्डीय नियोजन.का अर्थ है अर्थव्यवस्था के विभिन्न सेक्टरों; जैसे कृषि, सिंचाई, उद्योग, ऊर्जा, निर्माण, परिवहन, संचार, सामाजिक अवसंरचना व सेवाओं के लिए कार्यक्रम तैयार कर उन्हें कार्यान्वित कराना।
(ii) प्रादेशिक नियोजन भारत के सभी क्षेत्रों में आर्थिक विकास का समान स्तर देखने को नहीं मिलता है। कुछ क्षेत्र अधिक विकसित हैं तो कुछ क्षेत्र विकास की दृष्टि से अति पिछड़े हैं। आर्थिक विकास का यह असमान प्रतिरूप इस तथ्य पर बल देता है कि आर्थिक विकास में प्रादेशिक असन्तुलन को कम करने के लिए स्थानिक दृष्टिकोण को क्रियान्वित करना आवश्यक है। इस प्रकार का नियोजन प्रादेशिक नियोजन कहलाता है।