विकास की संकल्पना गतिक है तथा इस संकल्पना का अभ्युदय .20वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में हुआ था विकास की संकल्पना में क्रमिक रूप से निम्नलिखित तीन तथ्य उल्लेखनीय रहे।
1. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद विकास का अर्थ था आर्थिक वृद्धि जिसे समय के साथ सकल राष्ट्रीय उत्पाद, प्रतिव्यक्ति आय तथा प्रति व्यक्ति उपभोग में वृद्धि के रूप में मापा जाता था। लेकिन विश्व के अधिक आर्थिक वृद्धि वाले देशों में भी गरीबी का स्तर संसाधनों के असमान वितरण के कारण ब्रहुत तेजी से बढ़ा।
2. सन् 1970 के दशक में उक्त तथ्य को दृष्टिगत रखते हुए विकास की संकल्पना में 'पुनर्वितरण के साथ वृद्धि' तथा 'वृद्धि और समानता' जैसे वाक्यांशों को भी सम्मिलित कर लिया गया तथा यह माना गया कि विकास की संकल्पना को मात्र आर्थिक पक्ष तक ही सीमित नहीं रखा जा सकता। अपितु विकास मानव की सम्पूर्ण दशाओं का उन्नत स्वरूप है।
3. सन् 1980 के दशक में विकास को एक बहु-आयामी संकल्पना के रूप में मान्यता दी जाने लगी जिसमें समाज के सभी लोगों के लिए वृहद् स्तर पर सामाजिक व भौतिक कल्याण को अनिवार्य रूप से सम्मिलित किये जाने का समर्थन किया गया।