हड़प्पा सभ्यता में मुहरों और मुद्रांकनों का प्रयोग लम्बी दूरी के सम्पर्कों को सुविधाजनक बनाने के लिए किया जाता था। मुहरें चीनी मिट्टी, हाथी दाँत और चूने की बनी एवं पॉलिशयुक्त होती थीं। मुहरों के पिछली ओर बँटियाँ बनी हुई थीं जिनमें छिद्र थे। अनुमान लगाया जाता है कि व्यापारी लोग इसका प्रयोग सामान से भरे हुए थैले पर ठप्पा लगाने के लिए करते थे, यदि थैला प्रेषित स्थान पर पहुँचने तक ठप्पा सही सलामत है तो माना जाता था कि थैले को खोला नहीं गया है और सामान सुरक्षित है। मुद्रांकन से सामान को भेजने वाले की पहचान का भी पता लगता था। सिन्धु घाटी सभ्यता से मिलने वाली वस्तुओं में मुहरें सबसे अधिक महत्वपूर्ण हैं। मुहरों के द्वारा हमें हड़प्पा संस्कृति के लोगों की कृषि, जानवरों, वस्त्रों, गहनों, बालों को संवारने के ढंग, कलाओं, उद्योगों, विश्वासों और लिपि के बारे में जानकारी प्राप्त होती है।