हड़प्पा संस्कृति (सिन्धु घाटी सभ्यता) की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
(1) नगर योजना:
हड़प्पा सभ्यता के विभिन्न स्थलों के उत्खनन से यह जानकारी मिली है कि हड़प्पा सभ्यता के निवासी अपने नगर एक निश्चित योजना के अनुसार बसाते थे। मकान बनाने में पक्की ईंटों का प्रयोग होता था तथा प्रत्येक मकान में एक आँगन, रसोईघर, स्नानघर, दरवाजे व खिड़कियाँ होती थीं। नगरों में चौड़ी-चौड़ी सड़कें व गलियाँ बनायी जाती थीं जो एक-दूसरे को समकोण पर काटती थीं। नगरों में गन्दे पानी की निकासी के लिए नालियाँ बनी हुईं थीं। घरों की छोटी नालियाँ गली की नालियों से मिलती थीं। इस सभ्यता में कई विशिष्ट भवन मिले हैं जो इस सभ्यता के उत्कृष्ट नगर-नियोजन को दर्शाते हैं, जिनमें मोहनजोदड़ो का मालगोदाम, विशाल स्नानागार, हड़प्पा का विशाल अन्नागार आदि प्रमुख हैं।
(2) सामाजिक जीवन:
हड़प्पा समाज मातृसत्तात्मक था। इस सभ्यता के लोगों का मुख्य भोजन गेहूँ, जौ, चावल, बाजरा, तिल, चना, दाल आदि था। इसके अतिरिक्त इस सभ्यता के लोग विभिन्न जानवरों; जैसे- भेड़, बकरी, भैंस, सूअर, हिरण आदि के मांस व मछली का भी सेवन करते थे। इन लोगों को आभूषण पहनने तथा नाचने-गाने का भी शौक था। इस सभ्यता के लोग मृतक को मृदभाण्ड, आभूषण आदि के साथ गर्मों में दफनाते थे।
(3) आर्थिक जीवन-हड़प्पा:
सभ्यता के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि करना था। ये लोग गेहूँ, जौ, चावल, चना, बाजरा, दाल एवं तिल आदि की खेती करते थे। कालीबंगन से जुते हुए खेत के प्रमाण मिले हैं तथा बनावली से व्यापार करने के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। पश्चिमी एशिया के अनेक देशों के साथ उनका व्यापार होता था। इस सभ्यता के लोग उद्योग-धन्धों में भी लगे हुए थे। मिट्टी व धातु के बर्तन बनाना, आभूषण बनाना, औजार बनाना, पच्चीकारी आदि के उद्योग-धन्धे विकसित अवस्था में थे। तोल के लिए बाँटों का भी प्रयोग किया जाता था।
(4) कला:
हड़प्पा सभ्यता के लोगों ने कला के क्षेत्र में बहुत उन्नति की थी। उत्खनन से प्राप्त मुहरों एवं बर्तनों पर आकर्षक चित्रकारी देखने को मिलती है। मिट्टी से बने मृदभाण्ड, मृण्मूर्तियाँ, मुहर निर्माण, आभूषण बनाना आदि इनकी उत्कृष्ट कला प्रेम के उदाहरण हैं।
(5) लिपि:
हड़प्पा सभ्यता के लोगों ने लिपि का भी आविष्कार किया। हड़प्पन-लिपि भाव चित्रात्मक थी जिसमें चिह्नों की संख्या बहुत अधिक थी। ऐसा प्रतीत होता है कि यह लिपि दाईं से बाईं ओर लिखी जाती थी। इस लिपि को आज तक पढ़ा नहीं जा सका।
(6) राजनीतिक व्यवस्था:
हड़प्पा सभ्यता में जटिल निर्णय लेने एवं उन्हें लागू करने के संकेत मिलते हैं। यहाँ मृदभाण्डों, मुहरों, बाँटों, ईंटों आदि में अत्यधिक एकरूपता दिखाई देती है। इसके अतिरिक्त इस सभ्यता काल में ईंटें बनाने, विशाल दीवारें, चबूतरे एवं भवन बनाने के लिए भी बड़े पैमाने पर श्रमिकों को संगठित किया जाता था। पुरातत्वविदों का मत है कि इन कार्यों को संगठित करने वाली कोई न कोई सत्ता अवश्य रही होगी, जबकि कुछ पुरातत्वविद यह मानते हैं कि इस समाज में शासक नहीं थे क्योंकि यहाँ की सामाजिक स्थिति समान थी; वहीं कुछ पुरातत्वविदों का मत है कि यहाँ कोई एक नहीं बल्कि कई शासक थे; जैसे-मोहनजोदड़ो व हड़प्पा के अपने अलग-अलग राजा थे, जबकि कुछ पुरातत्वविदों का मत है कि यह एक ही राज्य था। अभी तक की स्थिति में यही मत सबसे अधिक प्रामाणिक माना जाता है।
(7) धार्मिक जीवन:
हड़प्पा सभ्यता के लोग धार्मिक विचारों के थे। ये मातृदेवी तथा शिव की पूजा करते थे। इसके अतिरिक्त इन लोगों में कुछ वृक्षों एवं पशु-पक्षियों की पूजा भी प्रचलित थी। इनके धार्मिक जीवन में पवित्र स्नान एवं जल-पूजा का भी विशेष महत्व था। ये लोग जादू-टोना व भूत-प्रेत में भी विश्वास रखते थे।
मानचित्र कार्य