पाटलिपुत्र का विकास पाटलिग्राम नामक एक गाँव से हुआ था। 5वीं शताब्दी ई. पू. में मगध के शासकों ने अपनी राजधानी राजगृह से हटाकर इस बस्ती में लाने का निर्णय किया तथा इसका नाम पाटलिपुत्र रख दिया। चौथी शताब्दी ई. पू. तक आते-आते यह मौर्य साम्राज्य की राजधानी बन गया। उस समय यह नगर एशिया के सबसे बड़े नगरों में से एक था, परन्तु बाद में इसका महत्व कम हो गया। 7वीं शताब्दी में चीनी यात्री ह्वेनत्सांग की पाटलिपुत्र यात्रा के समय यह नगर खंडहर के रूप में मिला तथा उस समय यहाँ की जनसंख्या भी बहुत कम थी।