उत्तरी भारत की एकता तथा गुप्त शासकों द्वारा देश में शान्ति स्थापना के कारण आन्तरिक और विदेशी व्यापार में बहुत . उन्नति हुई जिसके कारण देश में व्यापक आर्थिक प्रगति हुई। छठी शताब्दी ई. पू. से ही परिवहन के लिये भूतल मार्गों और सामुद्रिक यातायात के लिए समुद्री मागों का जाल बिछ गया था। भू-मार्ग मध्य एशिया और उसके आगे तक जाते थे। पाटलिपुत्र जैसे कुछ नगर नदी मार्गों के किनारे तथा पुहार, सोपारा जैसे नगर समुद्र तट पर बसे हुए थे।
जलमार्ग अरब सागर से होते हुए उत्तरी अफ्रीका, पश्चिम एशिया तथा बंगाल की खाड़ी से होते हुए चीन और दक्षिण पूर्व एशिया तक फैल गया था। विभिन्न प्रकार का कपड़ा, खाद्य-पदार्थ, अनाज, मसाले, नमक आदि आन्तरिक व्यापार की मुख्य वस्तुएँ थीं। निर्यात की वस्तुओं में कपड़ा, जड़ी-बूटी, मसाले, काली मिर्च, नील तथा हाथी दाँत की वस्तुएँ मुख्य थीं जिनको अरब सागर के रास्ते भूमध्य क्षेत्र तक भेजा जाता था।