एक छोटे गाँव का जीवन:
हर्षचरित संस्कृत में लिखी गयी कन्नौज के शासक हर्षवर्धन की जीवनी है, इसके लेखक बाणभट्ट (लगभग सातवीं शताब्दी ई.) हर्षवर्धन के राजकवि थे। यह उस ग्रन्थ का एक है। इसमें विंध्य क्षेत्र के जंगल के किनारे की एक बस्ती के जीवन का अतिविरल चित्रण किया गया है: । बस्ती के किनारे का अधिकांश क्षेत्र जंगल है और यहाँ धान की उपज वाली, खलिहान और उपजाऊ भूमि के हिस्सों को छोटे किसानों ने आपस में बाँट लिया है यहाँ के अधिकांश लोग कुदाल का प्रयोग करते हैं क्योंकि घास से भरी भूमि में हल चलाना मुश्किल है।
बहुत कम हिस्से साफ हैं, जो हैं भी उसकी काली मिट्टी काले लोहे जैसी सख्त है। यहाँ के लोग पेड़ की छाल के गठ्ठर लेकर चलते हैं फूलों से भरे अनगिनत बोरे अलसी और सन, भारी मात्रा में शहद, मोरपंख, मोम, लकड़ी और घास के बोझ लेकर आते-जाते रहते हैं। ग्रामीण महिलाएँ रास्ते में बसे गाँवों में जाकर बेचने को तत्पर रहती हैं। उनके सिरों पर जंगल से एकत्र किए गए फलों की टोकरियाँ थीं।
1. 'हर्षचरित' किस शासक की जीवन-गाथा है ?
2. 'हर्षचरित' की रचना किसने की थी ?
3. तत्कालीन समय के ग्रामीण जीवन का चित्रण किस प्रकार किया गया तथा ग्रामीणों की आजीविका के स्रोत क्या थे?
4. इस अंश में वर्णित लोगों को व्यवसाय के आधार पर आप कैसे वर्गीकृत करेंगे?