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दरबार-ए-अकबरी

अबुल फज़्ल अकबर के दरबार का बड़ा सजीव विवरण देते हुए कहता है-
जब भी महामहिम (अकबर) दरबार लगाते हैं तो एक विशाल ढोल पीटा जाता है और साथ-साथ अल्लाह का गुणगान होता है। इस तरह सभी वर्गों के लोगों को सूचना मिल जाती है। महामहिम के पुत्र, पौत्र, दरबारी और वे सभी जिन्हें दरबार में प्रवेश की अनुमति थी, हाजिर होते हैं और कोर्निश कर अपने स्थान पर खड़े रहते हैं। ख्यातिप्राप्त विद्वज्जन तथा विशिष्ट कौशलों में निपुण व्यक्ति आदर व्यक्त करते हैं तथा न्याय अधिकारी अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं। महामहिम अपनी सामान्य अन्तदृष्टि के आधार पर आदेश देते हैं और सभी मामलों को सन्तोषजनक ढंग से निपटाते हैं। इस पूरे समय के दौरान विभिन्न देशों से आए तलवारिये व पहलवान अपने को तैयार रखते हैं और महिला तथा पुरुष गायक अपनी बारी की प्रतीक्षा में रहते हैं। चतुर बाजीगर और मजाकिया कलाबाज भी अपने कौशल और दक्षता का प्रदर्शन करने को उत्सुक हैं।

1. दरबार में होने वाली मुख्य गतिविधियों का वर्णन कीजिए।

अथवा

अबुल फजल ने अकबर के दरबार का वर्णन किस प्रकार किया है?

2. दरबार में सामाजिक नियंत्रण को किस प्रकार व्यवहारित किया जाता था?

3. दरबार की गतिविधियों में शाही परिवार के सदस्य किस प्रकार भाग लेते थे?

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1. i. दरबार लगाने से पहले ढोल पीटा जाता था।

ii. अल्लाह का गुणगान किया जाता था।

iii. दरबार में सभी लोगों को सूचना दी जाती थी अर्थात् उपस्थित लोगों को सूचना जारी की जाती थी।

iv. सम्राट का सभी व्यक्तियों द्वारा अभिवादन किया जाता था।

v. विभिन्न विद्वान शासक को अपना आदर प्रस्तुत करते थे।

vi. न्याय अधिकारी अपनी रिपोर्ट सम्राट को सौंपते थे।

vii. शासक सभी कार्यों का अवलोकन करता था तथा उस पर अपने आदेश जारी करता था।

viii. तलवारबाज़ तथा पहलवान अपने-अपने करतब दिखाते थे।

ix. गायक तथा संगीतज्ञ अपना कार्यक्रम प्रस्तुत करते थे।

x. चतुर बाजीगर तथा मजाकिया भी अपना कौशल सम्राट के समक्ष प्रस्तुत करते थे।

2. दरबार में सामाजिक नियंत्रण को व्यवहारित करने के लिए संबोधन, शिष्टाचार तथा बोलने में नियमों को ध्यानपूर्वक निर्धारित किया गया था। यदि कोई शिष्टाचार का उल्लंघन करता था तो उसे दण्डित किया जाता था।

3. महामहिम के पुत्र, पौत्र आदि दरबार की गतिविधियों में भाग लेने के लिए कोर्निश पर अपने स्थान पर खड़े रहते हैं।

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