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दरबार में अभिजात 

अकबर के दरबार में ठहरा हुआ जेसुइट पादरी फादर एंटोनियो मान्सेरेट उल्लेख करता है :

सत्ता के बेधड़क उपयोग से उच्च अभिजातों को रोकने के लिए राजा उन्हें दरबार में बुलाता है और निरंकुश आदेश देता है जैसे कि वे उसके दास हों। इन आदेशों का पालन उन अभिजातों के उच्च औहदे और हैसियत से मेल नहीं खाता था।

1. फादर मान्सेरेट की यह टिप्पणी मुगल बादशाह व उनके अधिकारियों के बीच के सम्बन्ध के बारे में क्या संकेत देती है ?

2. अकबर और उसके अभिजातों के बीच सम्बन्ध की परख कीजिए।

3. आप यह कैसे सोचते हैं कि अभिजात-वर्ग मुगल राज्य का एक महत्वपूर्ण स्तम्भ था?

4. इस सम्बन्ध के विषय में जेसुइट पादरी फादर एंटोनियो मान्सेरेट के प्रेक्षण की व्याख्या कीजिए।

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1. जेसुइट पादरी फादर एंटोनियो मान्सेरेट की यह टिप्पणी मुगल बादशाह अकबर द्वारा अपने अधिकारियों के प्रति किये जाने वाले व्यवहार के सम्बन्ध में है। मान्सेरेट के अनुसार बादशाह अपने अधिकारियों को नियन्त्रण में रखता था ताकि वे सत्ता का बेधड़क उपयोग न करें। मान्सेरेट का कहना है कि राजा उनको दरबार में बुलाकर इस प्रकार आदेशित करता था; जैसे कि वे उसके दास हों। बादशाह के इन आदेशों का पालन उन अधिकारियों के उच्च पदों और उनकी हैसियत से मेल नहीं खाता था, परन्तु अन्य साक्ष्यों से अकबर द्वारा अभिजातों के साथ उचित व्यवहार के उदाहरण मिलते हैं। बादशाह के निरंकुश आदेश सम्भवतः मान्सेरेट को उचित न प्रतीत हुए हों और उसने इसलिए ऐसा लिखा कि अभिजात जैसे उसके दास हों। एक सुदृढ़ प्रशासन व्यवस्था के संचालन के लिए बादशाह को कभी-कभी दृढ़ता और निरंकुशता का प्रयोग करना पड़ता है। अधिकारियों पर नियन्त्रण के लिए बादशाह का यह व्यवहार पूर्णतया तर्कसंगत कहा जा सकता है।

2. अकबर अपने अभिजातों को दरबार में बुलाकर उन्हें शाही आदेश देता था। वह ऐसा सुदृढ़ प्रशासन व्यवस्था के संचालन के लिए करता था। वह अपने अभिजातों को उनकी योग्यतानुसार उपाधियाँ प्रदान करता था।

3. मुगल राज्य में अभिजात-वर्ग की भर्ती विभिन्न नृजातीय और धार्मिक समूहों से होती थी। अतः कोई भी दल राज्य की सत्ता को चुनौती देने में सक्षम नहीं होता था। अभिजात-वर्ग अपनी सेनाओं के साथ सैन्य अभियानों में भाग लेते थे। इसके सदस्यों के लिए शाही सेवा शक्ति, धन और उच्चतम प्रतिष्ठा प्राप्त करने का एक माध्यम थी। अभिजातों का दल बादशाह व उनके घराने की दिन-रात सुरक्षा करते थे। अतः अभिजात वर्ग मुगल राज्य का एक महत्वपूर्ण स्तम्भ था।

4. अकबर ईसाई धर्म के विषय में जानने को बड़ा उत्सुक था। उसने गोवा से जेसुइट पादरियों को आमंत्रित किया। उसने इन पादरियों से ईसाई धर्म पर बातचीत की तथा उलमा से उनका वाद-विवाद हुआ। जेसुइट विवरण निजी प्रेक्षणों पर आधारित है तथा बादशाह के चरित्र एवं सोच पर गहरा प्रकाश डालते हैं। ये राज्य के अधिकारियों व सामान्य जन-जीवन पर फारसी इतिहासों में दी गई सूचना की पुष्टि करते हैं।

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