मौलवी अहमदुल्ला शाह 1857 ई. के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम में उल्लेखनीय भूमिका निभाने वाले अनेक प्रसिद्ध मौलवियों में से एक थे। उन्होंने हैदराबाद में शिक्षा प्राप्त की एवं कम उम्र में ही इस्लाम के उपदेशक बन गये। 1856 ई. में उन्होंने गाँव-गाँव जाकर अंग्रेजों के विरुद्ध लोगों को विद्रोह के लिए तैयार किया। उनकी प्रसिद्धि इतनी अधिक बढ़ गयी थी कि लोग इन्हें पैगम्बर मानकर इनकी जादुई शक्ति में विश्वास करने लगे। 1856 ई. में वे लखनऊ पहुँचे तो अंग्रेजों ने उन्हें धार्मिक उपदेश देने से रोक दिया तथा 1857 ई. में उन्हें फैजाबाद जेल में बन्द कर दिया गया। जेल से रिहा होने पर उन्हें 22वीं नेटिव इन्फेन्ट्री के विद्रोहियों ने अपना नेता चुन लिया। उन्होंने चिनहट की लड़ाई में हेनरी लॉरेंस की सैनिक टुकड़ी को पराजित किया। मौलवी अहमदुल्ला शाह को उनकी बहादुरी व ताकत के लिए जाना जाता था।