पृथ्वी पर जैव विविधता एक जैसी नहीं है, क्योंकि विभिन्न स्थानों और वातावरणों में जैविक कारकों (जैसे जलवायु, तापमान, आर्द्रता, ऊँचाई, मिट्टी की गुणवत्ता) के आधार पर जीवन के रूप और प्रजातियों में भिन्नताएँ पाई जाती हैं। इसका कारण निम्नलिखित बिंदुओं से स्पष्ट किया जा सकता है:
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जलवायु और मौसम: पृथ्वी के विभिन्न हिस्सों में जलवायु अलग-अलग होती है। उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में गरम और नमी होती है, जिससे वहाँ की जैव विविधता अधिक होती है, जबकि शीतल या शुष्क क्षेत्रों में जैव विविधता कम होती है। उदाहरण के लिए, अमेज़न वर्षावन में विविध प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जबकि रेगिस्तानी इलाकों में जैव विविधता कम होती है।
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भौगोलिक स्थान और ऊँचाई: पहाड़ी इलाकों और समुद्र तटों पर भी जैव विविधता में फर्क होता है। ऊँचाई पर हवा की तापमान, आक्सीजन की मात्रा, और जलवायु में बदलाव होते हैं, जो जीवन के रूपों को प्रभावित करते हैं। समुद्र तटों पर समुद्री जीवन की अलग-अलग प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जबकि पर्वतीय इलाकों में विशेष वनस्पति और जीव होते हैं।
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मिट्टी और जल स्रोत: अलग-अलग स्थानों पर मिट्टी और जल स्रोतों की गुणवत्ता में भिन्नता होती है, जो जैव विविधता को प्रभावित करती है। कुछ स्थानों पर उर्वरक मिट्टी होती है, जिससे वहाँ ज्यादा और विविध पौधे उगते हैं, जबकि कुछ जगहों पर मिट्टी और जल की कमी के कारण जैव विविधता कम होती है।
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मानव गतिविधियाँ: इंसान की कृषि, उद्योग, शहरीकरण, वनस्पतियों का कटाव, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन जैव विविधता को प्रभावित करते हैं। मानव गतिविधियाँ जैविक प्रजातियों के आवास को नष्ट कर सकती हैं, जिससे जैव विविधता में कमी आ सकती है।
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प्राकृतिक आपदाएँ: भूकंप, सुनामी, तूफान, और अन्य प्राकृतिक आपदाएँ जैव विविधता को प्रभावित करती हैं, क्योंकि ये अचानक परिवर्तनों के कारण प्रजातियों के वितरण और अस्तित्व को प्रभावित कर सकती हैं।