श्वसन (Respiration): श्वसन वह प्रक्रम है जिसमें ऑक्सीजन एवं कार्बन डाइऑक्साइड का विनिमय होता है, ऊर्जा युक्त पदार्थों के ऑक्सीकरण में ऑक्सीजन का उपयोग होता है तथा निर्मित कार्बन डाइऑक्साइड का निष्कासन होता है। मेंढक में तीन प्रकार का श्वसन पाया जाता है - त्वचीय श्वसन, मुख ग्रसनी श्वसन तथा फुफ्फुसीय श्वसन। डिम्बक अवस्था में क्लोम श्वसन पाया जाता है।
(1) त्वचीय श्वसन (Integumentary respiration): मेंढक में अधिकांशतः त्वचीय श्वसन ही पाया जाता है। मेंढक की त्वचा में रक्त वाहिनियाँ काफी संख्या में होती हैं। मेंढक की त्वचा में श्लेष्मा ग्रन्थियाँ होती हैं, जो त्वचा को नम बनाये रखती हैं। जिससे O2 त्वचा से विसरित होकर रक्त में पहुँच जाती है। यह जल में, स्थल पर, शीत व ग्रीष्म निष्क्रियता के समय विसरण विधि द्वारा गैसों का विनिमय कर श्वसन क्रिया को सम्पन्न करती है।
(2) मुखगुहीय श्वसन (Buccal respiration): मेंढक में मुखगुहा के द्वारा भी श्वसन किया जाता है। यह जब थल पर होता है, वायु मुखगुहिका में प्रवेश करती है तथा बाहर आती रहती है। मुखगुहा में रक्तवाहिनियाँ अधिक संख्या में अधिक होती हैं तथा ये ऑक्सीजन का अवशोषण करती हैं तथा कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकाल दिया जाता है।
(3) फुफ्फुसीय श्वसन (Pulmonary respiration): फुफ्फुस के द्वारा श्वसन फुफ्फुसीय श्वसन कहलाता है। फुप्फुस अण्डाकार गुलाबी रंग की थैलेनुमा संरचनाएँ होती हैं जो देहगुहा के ऊपरी वक्षीय भाग में पायी जाती हैं। मेंढक में फुफ्फुसीय श्वसन के साथ मुखगुहीय तथा त्वचीय श्वसन भी होता है। क्योंकि सिर्फ फुफ्फुसीय श्वसन से श्वसन क्रिया पूर्ण नहीं हो पाती है।