पर्यवेक्षण दो शब्दों- परि अवेक्षण का समन्वय है। इसका अर्थ है- दूसरों के कार्यों का अधिदर्शन या अवलोकन करना। अतः पर्यवेक्षण एक प्रक्रिया है, जिसके द्वारा दूसरों के कार्यों का अवलोकन करके उन्हें उचित निर्देशन भी प्रदान करना है। विभिन्न शिक्षाविदों ने पर्यवेक्षण को इस प्रकार परिभाषित किया है-
1. उपयुक्त नेतृत्व प्रदान करनाः शैक्षिक पर्यवेक्षण द्वारा शैक्षिक 目 Terms of Use नियोजन, नीति निर्धारण, उसके कार्यान्वयन एवं मूल्यांकन सम्बन्धी कार्यों में शिक्षक को सहयोग प्रदान किया जाता है। इन सबका नियोजित एवं व्यवस्थित रूप में उपयोग, पर्यवेक्षक के प्रभावशाली नेतृत्व प्रदान करने पर निर्भर होता है। अतः पर्यवेक्षक द्वारा शिक्षक तथा अन्य मशैक्षिक कार्यकर्ताओं के नेतृत्व के प्रादुर्भाव को प्रोत्साहित करने सम्बन्धी कार्यों पर बल दिया जाता है।
पर्यवेक्षक नेतृत्व प्रदान करने हेतु निम्नलिखित कार्यों को करना आवश्यक है-
• (i) नेतृत्व करते समय सत्ता या शक्ति का समुचित रूप से प्रयोग करना चाहिए।
• (ii) नेतृत्व सम्बन्धी उद्देश्यों का निर्धारण स्पष्ट रूप में होना चाहिए।
• (iii) नेतृत्व प्रदान करने में सामूहिक गतिविधियों के साथ-साथ व्यक्तिगत क्रियाओं को करने के लिए प्रोत्साहन देना चाहिए।
• (iv) कार्यों के परिवर्तन एवं संशोधन में सभी शिक्षकों, कार्यकर्ताओं का समर्थन होना चाहिए।
2. शैक्षिक क्रियाओं में समन्वय स्थापित करनाः- पर्यवेक्षण का मुख्य 目 Terms of Use कार्य शिक्षा के विभिन्न रूपों में समुचित समन्वय स्थापित करना है। पर्यवेक्षक द्वारा शैक्षिक क्रियाओं में समन्वय करने हेतु विभिन्न कार्यों को सम्पन्न करना होता है।
• (i) पर्यवेक्षक द्वारा शिक्षकों, छात्रों तथा विद्यालय एवं समाज को समुचित सहयोग प्रदान करना।
• (ii) समन्वित शैक्षिक कार्यक्रमों का आयोजन करना ।
• (iii) पर्यवेक्षण में सभी का सहयोग प्राप्त करना।
3. मानवीय सम्बन्धों में सुधार करनाः
सामान्यतः पर्यवेक्षण द्वारा मानवीय सम्बन्धों में सुधार लान होता है। अतः पर्यवेक्षण का मुख्य कार्य सोखने की प्रक्रिया को उन्नत करना है, जिसमें शिक्षक, छात्र त मानवीय चौतिक तत्त्व सम्बन्धित होते हैं। इसलिए पर्यवेक्षण कार्यों द्वारा इन सब तत्त्वों में सुधार तथा इनके प्रभावशाली उपयोग पर बल दिया जाता है।
4. शैक्षिक उत्पादन में वृद्धि करनाः आज शिक्षण का सम्बन्ध उत्पादकता से जोड़ा जा रहा है। शिक्षा के उत्पादन का अर्थ छात्राओं की योग्यताओं के रूप में आंका जाता है कि अध्ययन के बाद वह तकनीको विशेषज्ञ, वैज्ञानिक, इन्जीनियर, डॉक्टर, कुशल नेता आदि के रूप में तैयार हो सके; यही शिक्षा को उपलब्धि या उत्पादन माना जाता है।
5. नीतियों का निर्धारण करना:- शिक्षा एक उद्देश्यपूर्ण क्रिया है, जिसका मुख्य लक्ष्य व्यक्तियों का विकाम करता है ताकि शिक्षा द्वारा समाज की वर्तमान आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सके। अतः पर्यवेक्षण द्वारा शैक्षिक योजना तथा उससे सम्बन्धित नीतियों के निर्धारण सम्बन्धी रूपरेखा तैयार करने सम्बन्धी निम्नलिखित कार्य किए जाते हैं-
• (i) पाठ्यक्रम सम्बन्धी नीतियों का निर्धारण करना,
• (ii) भौतिक साधनों एवं सहायक सामग्री की व्यवस्था करना तथा
• (iii) विभिन्न शैक्षिक कार्यक्रमों सम्बन्धी नीतियाँ तैयार करना।