व्यावसायिक पर्यावरण का महत्व
व्यवसाय एवं उसके पर्यावरण में घनिष्ट एवं गहन सम्बन्ध होता है। यह व्यावसायिक इकाईयों को सुदढ़ बनाने तथा उनके संसाधनों को प्रभावी ढंग से उपयोग करने में सहायक है। जैसा कि ऊपर कहा जा चुका है, व्यावसायिक पर्यावरण के कई स्वरूप हैं, यह जटिल तथा गतिशील होता है तथा व्यवसाय के अस्तित्व एवं विकास पर इसका दूरगामी प्रभाव पड़ता है। अधिक स्पष्ट रूप में व्यवसाय के सामाजिक, राजनैतिक, वैधानिक एवं आर्थिक पर्यावरण की पर्याप्त समझ व्यवसाय की निम्न रूपों में सहायता करती है।
(क) अवसरों एवं खतरों को पहचानना: व्यवसाय एवं पर्यावरण का सम्बन्ध व्यवसाय के अवसरों को पहचानता है एवं खतरों को उजागर करता है। यह व्यावसायिक इकाईयों की चुनौतियों का सफलता पूर्वक सामना करने में सहायता करता है।
(ख) विकास हेतु निर्देश देना: व्यवसाय एवं पर्यावरण का सम्बन्ध व्यावसायिक इकाइयों के विकास को नई दिशाएं दिखाता है। इससे व्यवसाय अपनी क्रियाओं के विकास एवं विस्तार के क्षेत्रों की पहचान कर सकते हैं।
(ग) निरन्तर ज्ञान प्राप्त करना: पर्यावरण-विश्लेषण से प्रबन्धकों का व्यावसायिक चुनौतियों का सामना करने का कार्य सरल हो जाता है। प्रबन्धकों को निरन्तर अभिप्रेरित किया जाता है कि वह अपने ज्ञान, समझ एवं कौशल को निरन्तर नवीनतम बनाएं रखें ताकि व्यावसायिक क्षेत्र में अनुमानित परिवर्तनों का सामना किया जा सके।
(घ) व्यावसायिक छवि सुधारने में सहायक: व्यावसायिक पर्यावरण व्यावसायिक संगठन को अपनी छवि सुधारने में सहायता करता है यदि वह उस पर्यावरण के प्रति संवेदनशील हों जिसमें वह कार्य कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, बिजली की कमी को देखते हुए कई कंपनियों ने अपनी बिजली की आवश्यकता की पूर्ति के लिए अपने कारखानों में स्वयं उत्पादित बिजली संयंत्र (Captive Power Plant) लगा लिए हैं।
(ङ) प्रतियोगिता का सामना करना: यह व्यावसायिक इकाइयों को प्रतियोगियों की रणनीति का विश्लेषण करने में तथा उनके अनुरूप अपनी रणनीतियां बनाने में सहायता करता है।
(च) फर्म की शक्तियों एवं कमियों की पहचान करना: तकनीकी एवं वैश्विक विकास को ध्यान में रखते हुए व्यावसायिक पर्यावरण प्रत्येक फर्म को अपनी शक्ति एवं कमियों की पहचान करने में सहायता करता है।