नियुक्तिकरण का अर्थ किसी संगठन में मानवीय संसाधनों की नियुक्ति और विकास के प्रबंधकीय कार्य से है जो एक संगठन में अनेक प्रबंधकीय और गैर प्रबंधकीय क्रियाएं करते हैं। इसके अन्तर्गत मानव-शक्ति की आवश्कताओं का निर्धारण तथा संगठन के विभिन्न पदों पर लोगों की भर्ती, प्रशिक्षण और विकास सम्मिलित हैं। वस्तुतः यह एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है क्योंकि संगठन में कर्मचारियों की आवश्यकताओं का निरन्तर पता लगाना और उन्हें संस्था में बनाए रखना एक कभी न समाप्त होने वाली क्रिया है। संगठन में अपेक्षित कर्मचारियों की संख्या और उनके उचित संयोजन पर प्रबंधकों को निरन्तर ध्यान रखना पड़ता है क्योंकि संगठन में नये विभाग और नई कार्य इकाईयों की वृद्धि तथा क्रियाओं के बढ़ जाने से मानव संसाधन की आवश्यकता निरन्तर बदलती जाती है। इतना ही नहीं, किसी भी समय कुछ लोग नौकरी छोड़ कर चले जायेंगे, सेवा निवृत हो जाएंगे, कुछ की पदोन्नति हो जाएगी या स्थानान्तरण हो जाएगा। इस प्रकार से जो पद खाली होंगे उन्हें भी भरना पड़ेगा।
यह ध्यान देने की बात है कि कर्मचारियों की नियुक्ति का कार्य मानव संसाधन प्रबंध का एक अभिन्न अंग है। व्यापक अर्थ में इसके अन्तर्गत कर्मचारियों का पारिश्रमिक निर्धारण, निष्पादन मूल्यांकन तथा उनकी पदोन्नति, स्थानान्तरण, आदि से संबंधित क्रियाएं आदि सम्मिलित हैं।
नियुक्तिकरण की विशेषताएँ -
1. मनुष्य से सम्बंधित - नियुक्तिकरण की प्रक्रिया का सम्बन्ध मनुष्य से होता है यह एक कागजी कार्य नही है। इसमें नियुक्ति करने वाला और नियुक्त होने वाला व्यक्ति दोनों ही मनुष्य होते है।
2. सतत कार्य - नियुक्तिकरण प्रबंध का एक सतत् बना रहने वाला कार्य हैं। क्योंकि इसमें रिक्त पद भावी पदो पर नियुक्ति, प्रशिक्षण पदोन्नति आदि कार्य उपक्रम में सतत् चलते रहते हैं।
3. सामाजिक दायित्व - नियुक्ति करण से समाज में रोजगार के अवसर उपलब्ध होते है। इससे प्रबंध अपने सामाजिक दायित्वों की पूर्ति करता है।
4. जटिल कार्य - नियुक्तिकरण प्रबंध का एक जटिल कार्य है। क्योंकि इसमें संस्था के हितो को महत्व देने के लिए निजी सम्बन्धों को महत्व नही दिया जाता है।
5. व्यापक कार्य - नियुक्तिकरण एक व्यापक कार्य है। यह प्रबंध के सभी स्तरो पर प्रबंधकों द्वारा किया जाता हैं। इसमें कर्मचारियों की भर्ती, चयन, पदाकंन इत्यादि सम्मलित होते है।
नियुक्तिकरण का महत्व
हम सभी जानते हैं कि किसी भी संगठन को सफलतापूर्वक चलाने में लोगों का ही योगदान होता है। उदाहरण के लिए, अगर आपके पास अच्छे विक्रयकर्ता नहीं हैं तो आप अपने अच्छे उत्पाद को भी ठीक से नहीं बेच सकते। इसी प्रकार आपके पास उत्तम प्रकार का कच्चा माल, मशीन आदि हो सकता है लेकिन जब तक आप के पास उत्पादन प्रक्रिया में अच्छे कर्मचारी न लगे हों अच्छे उत्पाद का भरोसा नहीं किया जा सकता। इसलिए नियुक्तिकरण का कार्य बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी के माध्यम से हम संगठन के लिए उचित व्यक्ति प्राप्त कर पाते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि वे संगठन में टिके रहेंगे। अच्छे कर्मचारियों की नियुक्ति के निम्नलिखित लाभ हैं-
(क) इससे उचित समय पर उचित पद के लिए उचित लोगों को प्राप्त करने में सहायता मिलती है। नियुक्तिकरण का कार्य प्रबंधकों को यह विश्वास दिलाता है कि कितने कर्मचारियों की आवश्यकता है और उनमें क्या योग्यताएं व अनुभव होना चाहिए।
(ख) नियुक्तिकरण से संगठनात्मक उत्पादकता के सुधार में सहयोग मिलता है। उचित चयन द्वारा संगठन को अच्छे कार्यकर्ता मिलते हैं और उचित प्रशिक्षण द्वारा कर्मचारियों के निष्पादन स्तर में सुधार लाया जा सकता है।
(ग) इससे कर्मचारियों को कार्य संतुष्टि मिलती है और उनका मनोबल ऊंचा उठता है। उचित प्रशिक्षण और विकास कार्यक्रमों से उनकी कार्यक्षमता में सुधार होता है और वे अपनी आजीविका की प्रगति के प्रति आश्वस्त रहते हैं।
(घ) नियुक्तिकरण से संस्था में अच्छा वातावरण बना रहता है। उचित नियुक्तिकरण के द्वारा लोगों की केवल भर्ती और उनका चयन ही नहीं किया जाता बल्कि उनके निष्पादन का लगातार मूल्यांकन होता रहता है और योग्यता के आधार पर पदोन्नति भी दी जाती है। इन सभी कार्यों के लिए कुछ नियम बनाये जाते हैं तथा सभी संबंधित व्यक्तियों को इनसे अवगत करा दिया जाता है। इससे संगठन में समन्वय एवं शांति को बढ़ावा मिलता है।