अशिक्षा दुर्गुणों की जन्मदाता है। लोकतंत्र की सफलता के लिए शिक्षित नागरिक का होना अत्यन्त आवश्यक है। शिक्षित नागरिक ही अपने अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जानकारी रख सकते है और उनका सही उपयोग कर सकते हैं।
लोकतंत्र का सफल परिचालन विभिन्न कार्यक्षेत्रों में नागरिक की सक्रिय सहभागिता पर ही निर्भर है। यह सहभागिता तभी प्रभावी हो सकती है जब नागरिक शिक्षित हों उनमें उचित और अनुचित का विभेद कर सकने का विवेक हो। उन्हें अपने अधिकारों एवं दायित्वों का ज्ञान हो। यह विवेक, ज्ञान, शिक्षा के बिना सम्भव नहीं है। अशिक्षित व्यक्ति और पशु में कोई अधिक अन्तर नहीं होता। वह अच्छे और बुरे की सही पहचान नहीं कर पाता। वह रूढ़ियों अन्धविश्वासों और पाखण्ड की दुनिया से ऊपर उठकर आधुनिक वैज्ञानिक युग की समझ भी नहीं रखता। विज्ञान ने मानव-प्रगति के लिए जो विविध साधन खोज निकाले हैं, कृषि की वैज्ञानिक विधियों का समावेश किया है, मानव स्वास्थ्य पर नवीन प्रयोग किए हैं-इन सबका लाभ भला अशिक्षित व्यक्ति क्या उठा संकता है। अतएव, अशिक्षित नागरिकों का लोकतंत्र, लोकतंत्र का मखौल ही होगा। वास्तव में लोकतंत्र की इमारत शिक्षारूपी नींव पर ही खड़ी हो सकती है। अतः, लोकतंत्र की सफलता के लिए शिक्षित नागरिकों का होना अत्यन्त आवश्यक है। अतः हम कह सकते हैं कि शक्षिा का अभाव लोकतंत्र के लिए चुनौती है।