द्विबीजपत्री भ्रूण का विकास - निषेचन के बाद युग्मनज में प्रथम विभाजन अनुप्रस्थ होता है। इसमें बीजांडद्वार की तरफ स्थित कोशिका को आधार कोशिक या cb कहा जाता है। चैलाजा की ओर स्थित अंतस्थ कोशिका को ca कहा जाता है। इसके बाद के विभाजन के फलस्वरूप T-आकार का प्राक्भ्रूण बनता है।
ca में अनुदैर्ध्य भित्ति से जो कि प्रथम भित्ति के समकोण बनाती है, विभाजन होता है। इस विभाजन के फलस्वरूप चुतर्थांश बनता है। चतुर्थांश की कोशिकाओं में पुनः विभाजन होता है, इस विभाजन के फलस्वरूप अष्टांशक अवस्था बनती है।
अष्टांशक अवस्था के बाद प्राक्भ्रूण में विभाजन होता है तथा 16 कोशिकाएँ बनती हैं। यह 16 कोशिकाओंवाली संरचना गोलाकार भ्रूण कहलाती है। cb की दोनों कोशिकाओं में अनुप्रस्थ विभाजनों के फलस्वरूप 6 से 10 कोशिका लंबा निलंबक बनता है।
गोलाकार भ्रूण में बीजपत्र बनने के स्थान पर विभाजनों के फलस्वरूप भ्रूण हृदयाकार हो जाता है। अनुप्रस्थ विभाजनों के फलस्वरूप दो बीजपत्र लंबे हो जाते हैं तथा बाद में चलकर मुड़ जाते हैं। प्रांकुर बीजपत्र के बीच में ढँका रहता है। द्विबीजपत्री भ्रूण में दो बीजपत्र बनते हैं। बीजपत्राधार में बीजपत्रों के स्तर से नीचे बेलनाकार भाग जो कि मूलांत सिरा या मूलज के शीर्षांत पर समाप्त होती है, इसे मूलगोप कहते हैं।
