माँग का नियम अर्थशास्त्री मार्शल की देन है, जिन्होंने इसे अपनी पुस्तक "Principles of Economics" में व्यक्त किया है। यह नियम लोगों के दैनिक जीवन के अनुभव पर आधारित है। साधारणतः इसे बाजार में ऐसी स्थिति देखने को मिलती है कि जब किसी वस्तु का मूल्य कम रहता है तो उसके खरीदने वाले ज्यादे हो जाते हैं। फलतः उसकी माँग में वृद्धि हो जाती है। इसके विपरीत अब मूल्य ज्यादे रहता है तो उसके खरीदने वाले कम हो जाते हैं और फलतः उसकी माँग कम हो जाती है। इसी बात को मार्शल ने एक नियम के द्वारा व्यक्त किया है। जिसे हम माँग का नियम कहते हैं इस तरह माँग का नियम यह बतलाता है कि किसी वस्तु के मूल्य में कमी हो जाने पर उनकी माँग बढ़ जाती है और मूल्य में वृद्धि हो जाने पर उनकी मांग घट जाती है। मार्शल के शब्दों में, 'मूल्य में कमी के साथ माँग की मात्रा में वृद्धि के साथ माँग की मात्रा में कमी आती है।'
इस बात को मार्शल ने बच्चों के सी-सॉ (See-saw) खेल के द्वारा भी समझाया है। इस उदाहरण से यह बात स्पष्ट हो जाती है-
नारंगी का मूल्य प्रति इकाई |
नारंगी की माँग |
12 पैसा प्रति इकाई |
10 इकाई |
10 पैसा प्रति इकाई |
15 इकाई |
8 पैसा प्रति इकाई |
20 इकाई |
6 पैसा प्रति इकाई |
25 इकाई |
4 पैसा प्रति इकाई |
30 इकाई |
इस उदाहरण में ऊपर से नीचे देखने पर मालूम हो जाता है कि मूल्य में ज्यों-ज्यों कमी होती जाती है तो माँग में उसी तरह वृद्धि होती है, इसके विपरीत नीचे से ऊपर देखने पर यह मालूम हो जाता है कि मूल्य वृद्धि के फलस्वरूप माँग में कमी होती जाती है। इसी बात को निम्न रेखाचित्र द्वारा दिखलाया जा सकता है।

इस रेखाचित्र से OX नारंगी की मात्रा को और OY उसके मूल्य को बतलाया है। साथ ही DD' वक्र रेखा मांग के नियम की रेखा है, जिसे हम मांग की वक्र रेखा भी कहते हैं। इस तरह इस नियम पर ध्यान देने से मुख्यतः ये बातें स्पष्ट हो जाती है-
सर्वप्रथम, इस नियम से यह स्पष्ट हो जाता है कि मूल्य तथा माँग के बीच विपरीतार्थक संबंध पाया जाता है तथा अंत में, इस नियम से यह भी ज्ञात हो जाता है कि यह सिर्फ एक प्रवृत्ति (Tendency) को बतलाया है।