(a) तार की लम्बाई l = 10 मीटर, B = H = 0.30 x 10-4 वेबर/मी2, तार का वेग v = 50 मी/सेकण्ड अतः तार के सिरों के बीच प्रेरित विभवान्तर e = Bvl sin 90° = Bvl = 0.30 x 10-4 x 5.0 x 10 = 0.0015 वोल्ट = 1.5 मिलीवोल्ट
(b) फ्लेमिंग के दायें हाथ के नियम के अनुसार, तार में प्रेरित धारा की दिशा पूर्व से पश्चिम की ओर होगी। अतः प्रेरित वैद्युत वाहक बल की दिशा पश्चिम से पूर्व की ओर होगी।
(c) चूँकि तार में प्रेरित धारा की दिशा पूर्व से पश्चिम की ओर है, अत: तार में इलेक्ट्रॉन इसके विपरीत पश्चिम से पूर्व की ओर गति करेंगे। चूँकि इलेक्ट्रॉन निम्न विभव से उच्च विभव की ओर गति करते हैं, अत: तार का पूर्वी सिरा उच्च विभव पर होगा। [विशेष-यदि तार उत्तर-दक्षिण दिशा में रहते हुए गिरता, तब इसकी लम्बाई पृथ्वी के क्षेत्र के क्षैतिज घटक के समान्तर होती। अतः कोई वैद्युत वाहक बल प्रेरित नहीं होता।