उल्वबेधन एक ऐसी तकनीक है जिसके अन्तर्गत माता के गर्भ में से एम्नियोटिक द्रव (amniotic fluid) का कुछ भाग सीरिंज द्वारा बाहर निकाला जाता है। इस द्रव में फीट्स की कोशिकाएँ होती हैं जिसके गुणसूत्रों का विश्लेषण करके भ्रूण की लिंग जाँच, आनुवांशिक संरचना, आनुवांशिक विकार व उपापचयी विकारों का पता लगाया जा सकता है। अत: इस जाँच प्रक्रिया का प्रमुख उद्देश्य होने वाली संतान में किसी भी संभावित विकलांगता अथवा विकार का पता लगाना है जिससे माता को गर्भपात कराने का आधार मिल सके।
किन्तु आजकल इस तकनीक का दुरुपयोग भ्रूण लिंग ज्ञात करके, मादा भ्रूण हत्या के लिए हो रहा है। इसके फलस्वरूप हमारे देश का लिंगानुपात असंतुलित होता जा रहा है। मादा भ्रूण के सामान्य होने पर भी गर्भपात कर दिया जाता है क्योंकि अभी भी हमारे समाज में पुत्र जन्म को प्राथमिकता दी जाती है। ऐसा गर्भपात एक बच्चे की हत्या के समतुल्य है, अतः उल्वबेधन पर कानूनी प्रतिबन्ध लगाना अति आवश्यक है।