बचपन में डॉ. अम्बेडकर को भीमराव नाम रखा गया। घरवाले प्यार से ‘भीवा’ कहकर पुकारते थे। बचपन में उन्हें छुआछूत के भेदभाव को सहन करना पड़ा। स्कूल में प्रवेश भी मुश्किल से मिला। उन्हें कक्षा के भीतर अन्य विद्यार्थियों के साथ बैठने की अनुमति नहीं थी। बैठने के लिए घर से बिछौना ले जाना पड़ता था। प्यास बुझाने के लिए स्कूल में पीने का पानी तक उन्हें नहीं मिल पाता था।