सन्दर्भ तथा प्रसंग-प्रस्तुत सोरठा हमारी पाठ्यपुस्तक में संकलित कवि कृपाराम द्वारा रचित सोरठों से लिया गया है। इस सोरठे में कवि ने मधुर वाणी की प्रशंसा की है।
व्याख्या-कवि कृपाराम कहते हैं कि कोयल अपनी मधुर बोली से हृदयों में प्रेम उत्पन्न किया करती है और उसकी बोली सुनकर मन बड़ा प्रसन्न हो जाता है। इसके विपरीत कौआ अपनी कर्णकटु, कर्कश बोली से सभी को बुरा लगता है। यह वाणी का ही प्रभाव है।
विशेष-
(i) सरल भाषा में कवि ने मधुर वाणी का महत्त्व समझाया है।
(ii) कड़वा बोलने वाले से कोई प्रेम नहीं करता। अत: सदा मधुर वाणी को प्रयोग करना चाहिए, यह सन्देश दिया गया है।
(iii) भाषा सरल राजस्थानी है। शैली नीति-शिक्षणपरक है।