कवि रहीम अपने निजी अनुभव के आधार पर कहते हैं कि जब मनुष्य पर विपत्ति पड़ती है, बुरे दिन आते हैं, तो उसकी सम्पत्ति नष्ट हो जाती है। वह चाहे लखपति या कसेड़पति भी क्यों न हो, विपत्ति उसे अकिंचन बना डालती है। कवि इस तथ्य के समर्थन में कहता है कि जब सबेरा होता है तो आकाश के असंख्य तारे भी छिप जाते हैं। आकाश का सारा वैभव समाप्त हो जाता है।