इस दोहे में कवि ने आत्म सम्मान के महत्व को स्पष्ट किया है। दैत्यों से त्रस्त देवताओं की सुरक्षा के लिए भगवान विष्णु दैत्यराज बलि के यहाँ ‘वामन बटुक’ (बौना छात्र) का वेश बनाकर पहुँचे । विष्णु ने उनसे तीन डग धरती माँगी । बलि के वचन देने पर उन्होंने इतना विराट रूप बनाया कि उनके तीन डगों (कदम) सारी पृथ्वी नप गई और बलि को पाताल में जाकर रहना पड़ा। रहीम का कहना है कि विष्णु ने इतना अद्भुत काम किया फिर भी माँगने जाने से उन का पद घट गया। वह आज तक’वामन’ (छोटा या बौना) नाम से प्रसिद्ध हैं।