प्रयोगधर्मी का आशय है जो अपनी रचनाओं में नए-नए प्रयोग करे । शमशेर एक प्रगतिशील सोच वाले कवि हैं। उन्होंने परंपरा से हट कर अपनी कविता में शिल्प संबंधी नए प्रयोग किए हैं। ‘उषा’ कविता का विषय प्रातः कालीन आकाश के दृश्यों का वर्णन है। कवि ने घरेलू विम्बों के माध्यम से इस दृश्य का अंकन किया है। आकाश को नीला शंख, राख से लीपा चौका, लाल केसर से धुली सिल और लाल खड़िया चाक से मली हुई स्लेट कहा है। ये सभी प्रयोग नए हैं। अन्य कवियों ने भी प्रात:काल के वर्णन किए हैं लेकिन शमशेर का यह विम्ब-विधान सबसे अलग है।