क्रोध और भय ये दोनों ही मनोविकार हैं। क्रोध तब उत्पन्न होता है जब मनुष्य को पता होता है कि उसको दु:ख किसके कारण पहुँचेगा अथवा पहुँचाना सम्भव है। यदि दु:ख का कारण कोई चेतन प्राणी होगा तथा उसने जान-बूझकर दु:ख पहुँचाया होगा तो क्रोध उत्पन्न होगा। मनुष्य जब भावी दु:ख के कारण के सामने होता है तो उसके मन में भय उत्पन्न होता है तथा वह उससे बचने के लिए प्रयत्नशील होता है। भय मनुष्य को दु:ख के कारण की पहुँच से दूर रखने के लिए उत्पन्न होता है।