यह ‘बात’ क्या है जो एक बार बिगड़ गई है तो फिर बनने में नहीं आती ? अपनी छवि के बारे में व्यक्ति को बड़ा सावधान और संवेदनशील रहना चाहिए। यदि असावधानी से एक बार भी लोगों की नजरों में गिए गए तो फिर लाख सफाई, विवशता और बहाने गिनाइए? बात फिर बन नहीं पाती। अपनी निर्मल छवि को फिर से लोगों के हृदयों में स्थापित कर पाना बड़ा कठिन काम होता है। इसलिए अपनी बात पर दृढ रहिए, सतर्क रहिए, उसे गिरने मत दीजिए, यही कवि का चेतावनी युक्त संदेश है।