जहाँ सादृश्य के कारण एक वस्तु में अनेक वस्तु होने का संशय हो किन्तु किसी एक का निश्चय न हो, वहाँ संदेह अलंकार होता है। ‘किधों, किंवा, धौं’ क्या आदि संदेह अलंकार के वाचक शब्द होते हैं। इन पंक्तियों में गंगा में श्रृंगार की माला अथवा तीर्थों का समूह होने का संदेह हो रहा है परन्तु निश्चित कुछ भी नहीं है। कैंधों’ संदेह का वाचक शब्द ही है। अत: संदेह अलंकार है।