(i) `underlineNH_(4)underlineNO_(3)` सामान्य सूत्र के अनुसार माना N की आ सं a है।
`2xxa+4xx(+1)+3xx(-2)=0` अतः `a=+1`
किन्तु यह सही नहीं है क्योकिं `NH_(4)NO_(3)` में `NH_(4)^(+)` के N- परमाणु की आ सं ऋणात्मक तथा `NO_(3)^(-)` के न-परमाणु की आ सं धनात्मक होती है, अन्तः N की आ सं `NH_(4)^(+)` तथा `NO_(3)^(-)` में अलग-अलग ज्ञात करते है।
`NH_(4)^(+)` के लिए `a+4xx(+1)=1` अन्तः `a=-3`
`NO_(3)^(-)` के लिए `a+3xx(-2)=-1` अन्तः `a=+5`
(ii) `K_(3) [underlineFe(CN)_(6)]` - चूँकि `CN^(-)` पर इकाई ऋणावेश है, अन्तः इसकी आ सं `-1` मानी जा सकती है । माना `Fe` की आ सं a है।
`3xx(a)+4xx(-2)=0` अतः `a=+3`
(iii)`underlineFe_(3)O_(4)`
मान Fe की आ सं a है, अन्तः `3xx(a)+4xx(-2)=0` अन्तः `a=8+//3`
वास्तव में `Fe_(3)O_(4)` का संघटन `FeO*FeO_(3)` होता है, `Fe` के एक परमाणु की आ सं `+2` तथा दूसरे की `+3` होती है।
उपरोक्त सूत्र से प्राप्त `+8//3` आ सं औसत आ सं है।
औसत आ सं `=(1xx(+2)+2(+3))/(3)=+(8)/(3)`
`underline FeSO_(4)*(NH_(4))_(2)SO_(4)*6_(2)O,`
`SO_(4)^(-2), (NH_(4))_(2)SO_(4)` एवं `H_(2)O` की आ सं क्रमश `-2,0,0` है।
माना Fe की आ सं a है।
`:.a+(-2)+0+0=0` अतः `a=+2`
(v) `underlineFe(NO)*(H_(2)O)_(5)*SO_(4)` माना Fe की आ सं a है। आयरन के जटिल यौगिकों में `NO` की आ सं `+1` होती है।
`a+1+0+(-2)=0` अतः `a=+1`
(vi) `Na_(2)[underlineFe(CN)_(5)*NO]` माना Fe की आ सं a है।
`:. 2xx(+1)+a+5xx(-1)+(+1)=0` अतः `a=+2` ltbrlt `Na" " Fe " " CN^(-)" " NO^(+)`