(i) `SO_(2)` में S की ऑक्सीकरण संख्या `+4` है। S की ऑक्सीकारक संख्या `-2` से `+6` हो सकती है। अतः `SO_(2)` का ऑक्सीकरण तथा अपचयन दोनों हो सकते है। इसलिए यह ऑक्सीकारक तथा अपचापयक दोनों पर कार्य करता है ।
(ii) इसी प्रकार `H_(2)O_(2)` में O ऑक्सीकरण संख्या `-1` है। S की ऑक्सीकारक संख्या `0` से `-2` हो सकती है। अतःइसका का ऑक्सीकरण तथा अपचयन दोनों हो सकते है। इसलिए यह ऑक्सीकारक तथा अपचापयक दोनों पर कार्य करता है ।
(iii) `O_(3)` में O ऑक्सीकरण संख्या शून्य है। इसकी ऑक्सीकरण संख्या `0` से `-1` या `-2` तक हो सकते है। अतः यह केवल ऑक्सीकारक का कार्य ही कर सकती है।
(iv) `HNO_(3)` में N की ऑक्सीकरण संख्या `+5` है, जो अधिकतम है, अतः `HNO_(3)` में N का ऑक्सीकरण नहीं हो सकता है केवल अपचयन हो सकता है। इसलिए यह केवल ऑक्सीकारक की भाँती कार्य कर सकता है।