(i) `Fe(OH)_(2)` का `K_(sp)FeOH_(3)` के `K_(sp)` से अधिक होता हैं। अतः Fe का पूर्ण अवक्षेपण करने के लिए सांद्र `HNO_(3)` का प्रयोग किया जाता हैं।
`Fe^(2+) to Fe^(3+) + e`
(ii) मूल विलयन में उपसिथत `H_(2)S` को S में ऑक्सीकृत करने के लिए भी इसे `HNO_(3)` के साथ उबाला जाता हैं।