निल बार्टलेट ने पाया कि `O_(2), PtF_(6)` से क्रिया , करके आयनिक यौगिक `O_(2)^(+)PtF_(6)^(-)` बनाती है । इस अभिक्रिया में `O_(2)` ऑक्सीकृत होकर`O_(2)^(+)` बनाती है । `O_(2)` तथा Xe की आयनन एन्थैल्पी लगभग बराबर होती है । बार्टलेट में विचार किया की जीनॉन भी `PtF_(6)` द्वारा `Xe^(+)` में ऑक्सीकृत हो सकती है । जब Xe तथा `PtE_(6)` को परस्पर मिलाया गया तो तीव्र अभिक्रिया होती है तथा `Xe^(+) PtF_(6)` आयनिक यौगिक बनता है जो लाल रंग का होता है ।
`Xe+PtF_(6) overset(278K)to Xe^(+)[PtE_(6)]^(-)`