(a) यदि हम यह मान ले की संतुलन स्थायी है, तब परिक्षण आवेश को यदि किसी भी दिशा में थोड़ा विस्थापित कर छोड़ दे तो यह शून्य विक्षेप स्थिति की ओर प्रत्यानयन बल का अनुभव करेगा। यह तभी संभव है जब शून्य विक्षेप स्थिति के निकट चारो ओर विधुत फ्लक्स अंतर्मुखी हो। परन्तु गाऊस प्रमेय से, किसी विधुत क्षेत्र का ऐसे बंद पृष्ठ से गुजरने वाला फ्लस्क जिसमे कोई आवेश नहीं है, शून्य होता है। अंत: यह विचार की संतुलन स्थायी है, असत्य है। अंत: संतुलन स्थाई नहीं हो सकता ।
(b) माना दो आवेशों को मिलाने वाली रेखा का मध्य बिंदु शून्य विक्षेप बिंदु है। यदि किसी परीक्षण आवेश को es रेखा के अनुदिश थोड़ा विस्थापित करेंगे तो प्रत्यानयन बल उत्पन्न होगा जो इसे शून्य विक्षेप स्थिति में लेन का प्रयास करेगा। तब परीक्षण आवेश का संतुलन स्थायी होगा। यदि परीक्षण आवेश को शून्य विक्षेप स्थिति से, दी गयी रेखा के अभिलम्बवत विस्थापित करेंगे तो नेट बल इसे शून्य विक्षेप स्थिति में दूर त्वरित करता जाएगा तब इसका संतुलन अस्थाई होगा।