(a) हाँ समतल तथा उत्तल दर्पण वास्तविक प्रतिबिम्ब बना सकते है , यदि उत्तल अथवा समतल दर्पण पर आपतित प्रकाश किरण दर्पण के पीछे अभिसरित हो क्योकि ये दर्पण के सामने पर्दे पर एक बिन्दु पर परावर्तित एक होती है| दूसरे शब्दों में, समतल तथा उत्तल दर्पण आभासी वस्तु का एक वास्तविक प्रतिबिम्ब बना सकते है|
(b) नहीं, इसमें कोई विरोधाभास नहीं है क्योकि गोलीय दर्पण द्वारा निर्मित आभासी प्रतिबिम्ब आँख के लिए वस्तु का कार्य करता है| हमारी आँख एक अभिसारी लेन्स है तथा रेटिना पर आभासी वस्तु का प्रतिबिम्ब बनती है|
(c ) चूँकि मछुआरा हवा में है| (किनारे पर ) अतः गोताखोर द्वारा तिरछा देखें पर प्रकाश किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाती है तो यह प्रकाश किरण अभिलम्भ की तरफ मुड़ जाती है| अतः मछुआरा अपेक्षाकृत लंबा प्रतीत होता है|
(d) हाँ , जब वाटर टैंक गहराई के सापेक्ष तिरछा देखा जाता है| तब आभासी गहराई घटती है
(e ) हीरे का अपवर्तनांक काँच के अपवर्तनांक से अधिक होता है अर्थात `mu_(d) gt mu_(g),mu=(1)/(sini_(c ))`, जहाँ `i_(c )`=क्रान्तिक कोण
चूँकि हीरे का अपवर्तनांक जल के अपवर्तनांक से अधिक है अतः काँच का क्रान्तिक कोण हीरे के क्रान्तिक कोण से अधिक होगा, अतः हीरा तराशने वाला यह सुनिश्चित करने के लिए हीरे को आयतन कोण में अधिक परास तक काटता है, कि हीरे में प्रवेश करने वाला प्रकाश विभिन्न बाह्य परावर्तनो से गुजरता है| यही प्रक्रिया हीरे को अधिक चमकदार आती है|