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निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-
(a) आपने सीखा है कि समतल तथा उत्तल दर्पण सदैव आभासी प्रतिबिम्ब बनाते है| क्या ये दर्पण किन्हीं परिस्थितियों में वास्तविक प्रतिबिम्ब बना सकते है? स्पष्ट कीजिए |
(b) हम सदैव कहते है कि आभासी प्रतिबिम्ब को परदे पर केन्द्रित नहीं किया जा सकता | यधपि जब हम किसी आभासी प्रतिबिम्ब को कहते है तो हम इसे स्वाभाविक रूप में अपनी आँख कि स्क्रीन (अर्थात रेटिना)पर लाते है| क्या इसमें कोई विरोधाभास है?
(c ) किसी झील के तट पर खड़ा मछुआरा झील के भीतर किसी गोताखार द्वारा तिरछा देखने पर अपनी वास्तविक लम्बाई की तुलना में कैसा प्रतीत होगा-छोटा अथवा लम्बा ?
(d) क्या तिरछा देखने पर किसी जल के टैंक की आभासी गहराई परिवर्तित हो जाती है ? यदि हाँ, तो आभासी गहराई घटती है अथवा बढ़ जाती है?
(e ) सामान्य काँच की तुलना में हीरे का अपवर्तनांक काफी अधिक होता है ? क्या हीरे को तराशने वालों के लिए इस तथ्य का कोई उपयोग होता है?

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(a) हाँ समतल तथा उत्तल दर्पण वास्तविक प्रतिबिम्ब बना सकते है , यदि उत्तल अथवा समतल दर्पण पर आपतित प्रकाश किरण दर्पण के पीछे अभिसरित हो क्योकि ये दर्पण के सामने पर्दे पर एक बिन्दु पर परावर्तित एक होती है| दूसरे शब्दों में, समतल तथा उत्तल दर्पण आभासी वस्तु का एक वास्तविक प्रतिबिम्ब बना सकते है|
(b) नहीं, इसमें कोई विरोधाभास नहीं है क्योकि गोलीय दर्पण द्वारा निर्मित आभासी प्रतिबिम्ब आँख के लिए वस्तु का कार्य करता है| हमारी आँख एक अभिसारी लेन्स है तथा रेटिना पर आभासी वस्तु का प्रतिबिम्ब बनती है|
(c ) चूँकि मछुआरा हवा में है| (किनारे पर ) अतः गोताखोर द्वारा तिरछा देखें पर प्रकाश किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाती है तो यह प्रकाश किरण अभिलम्भ की तरफ मुड़ जाती है| अतः मछुआरा अपेक्षाकृत लंबा प्रतीत होता है|
image
(d) हाँ , जब वाटर टैंक गहराई के सापेक्ष तिरछा देखा जाता है| तब आभासी गहराई घटती है
(e ) हीरे का अपवर्तनांक काँच के अपवर्तनांक से अधिक होता है अर्थात `mu_(d) gt mu_(g),mu=(1)/(sini_(c ))`, जहाँ `i_(c )`=क्रान्तिक कोण
चूँकि हीरे का अपवर्तनांक जल के अपवर्तनांक से अधिक है अतः काँच का क्रान्तिक कोण हीरे के क्रान्तिक कोण से अधिक होगा, अतः हीरा तराशने वाला यह सुनिश्चित करने के लिए हीरे को आयतन कोण में अधिक परास तक काटता है, कि हीरे में प्रवेश करने वाला प्रकाश विभिन्न बाह्य परावर्तनो से गुजरता है| यही प्रक्रिया हीरे को अधिक चमकदार आती है|

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