इस पाठ में स्वामी जी देश के युवकों से देश का पुनरुत्थान करने का आहान करने है । उनका मानना था कि देश के गरीबों और दलितों के लिए देश के युवा संगठित हों व आत्मिक शक्ति को महत्व दें । त्याग और सेवा कि भावना पर ध्यान देने से शेष बातें अपने आप ठीक हो जायेंगी । हम ईश्वर में पूर्ण आस्था रखें क्योकि वही हमारी सहायता करेगा । निष्कर्ष रूप में, स्वामी जी के विचार थे कि सेवा, त्याग, प्रेम, आस्था इत्यादि देश के उद्धार के लिए प्रेरणास्रोत हैं ।