(i) चूँकि यौगिक (A)2,4 डी एन पी व्युत्पन्न निर्मित करता है । अतः यह यौगिक ऐल्डीहाइड अथवा कीटोन है ।
(ii) चूँकि यह टॉलेन अभिकर्मक अथवा फेहलिंग विलयन को अपचयीत नहीं करता , इसलिए यौगिक (A) एक कीटोन होना चाहिए ।
(iii) चूँकि यौगिक A आयोडोफार्म परीक्षण देता है , अतः यह मेथिल कीटोन होगा ।
(iv) यौगिक (A) के आण्विक सूत्र से ज्ञात होता है कि यह असंतृप्त यौगिक है । किन्तु फिर भी यह ब्रोमीन जल अथवा बेयर अभिकर्मक को वर्णविहीन नहीं करता है , इससे ज्ञात होता है कि असंतृप्तता ऐरोमैटिक वलय के कारण है ।
(v) चूँकि यौगिक (A) क्रोमिक अम्ल द्वारा प्रबल ऑक्सीकरण से यौगिक (B) बनता है जिसका अणुसूत्र `C_7H_6O_2` है , अतः यौगिक (B) बेंजोइक अम्ल होना चाहिए । बेंजोइक अम्ल के बनने की प्रक्रिया से यह संकेत मिलता है कि यौगिक (A) एकल प्रतिस्थापि बेन्जीन व्युत्पन्न होना चाहिए ।
(vi) इस प्रकार यौगिक (A) में एकल प्रतिस्थापी बेन्जीन वलय (`C_6H_5` वलय) और `CH_3CO` समूह है । दोनों समूहों `(C_6H_5 +COCH_3=C_8H_8O)` को मिलाने से यौगिक (A) का अणुसूत्र बनता है ।
अतः यौगिक (A) ऐसिटोफीनोन या मेथिल फेनिल का 1- फेनिलएथेनोन है ।