ऑपेरॉन (Operon) - जैकब एवं मोनोड (Jacob and Monod, 1961) ने ऑपेरॉन मॉडल प्रस्तुत किया।
संरचनात्मक एवं नियंत्रक जींस का ऐसा समूह जो की कोशिका में चयापचय एवं आनुवंशिक नियंत्रण रखता है उसे ऑपेरॉन (Operon) कहते हैं।
लैक ऑपेरॉन की संरचना (Structure of Lac operon) - ऑपेरॉन दो प्रकार के जींस से मिलकर बना होता हैं-
(A) नियंत्रक जींस (Controller genes) - ऐसे जींस जो प्रेरण एवं दमन प्रक्रिया द्वारा संरचनात्मक जिन की क्रियाशीलता पर नियंत्रण रखते हैं उसे नियंत्रक जींस कहते हैं। ये जीन तीन प्रकार के होते हैं-
1 रेगुलेटर जीन (Regulator gene) - नियंत्रण जींस का ऐसा समूह जो सक्रीय दमनकारी (Active repressor) का संश्लेषण करता है, जो ऑपरेटर जीन के साथ जुड़कर अनुलेखन को रोक देता है, जिससे प्रोटीन संश्लेषण नहीं हो पाता हैं।
2 प्रोमोटर जीन (Promoter gene) - DNA का वह भाग है, जो RNA पॉलिमरेज़ एन्जाइम की क्रियाशीलता पर नियंत्रण रखता है, तथा m -RNA का अनुलेखन करता है, उसे ही प्रोमोटर जीन कहते हैं।
3 ऑपरेटर जीन (Operator gene) - DNA का वह भाग जो संरचनात्मक जींस की क्रियाशीलता पर नियंत्रण रखता है। दमनकारी प्रोटीन या एन्जाइम इसी स्थान पर DNA शृंखला से जुड़ता है।
3 सिस्ट्रोन (Cistron, A) - यह ऑपेरॉन का अंतिम जीन होता है।
(B) संरचनात्मक जीन (Structural gene) - DNA के ऐसे खंड जिसमे प्रोटीन संश्लेषण की सूचनाएँ कोडेड रहती हैं। यह प्रोटीन संश्लेषण के समय अमीनों अम्ल के क्रम को निर्धारित करता है।
संरचनात्मक जीन तीन प्रकार के होते हैं-
1 सिस्ट्रोन (Cistron, Z) - यह ऑपरेटर जीन एवं सिस्ट्रोन A के मध्य पाया जाता है। इस भाग में `beta` गइलेक्टोसाइडेज एन्जाइम पाए जाते हैं।
2 सिस्ट्रोन (Cistron, `beta`) - DNA के इस भाग में `beta` गैलेक्टोसाइड परमियेज एन्जाइम के निर्माण से सम्बंधित कोड़ों पाए जाते हैं।