Correct Answer - Option 1 : कण्ठ
वर्णों का उच्चारण करते समय जिह्वा जिस स्थान को स्पर्श करती है अथवा जिस स्थान से ध्वनि निकलती है उसे उच्चारण स्थान कहते हैं। मुख्य रूप से 6 उच्चारण स्थान होते हैं -
उच्चारणस्थान
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स्थान
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सूत्र
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व्याख्या
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कण्ठ्य
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अकुहविसर्जनीयानां कण्ठः
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अ, क वर्ग (क्, ख्, ग्, घ्, ङ्) ह् और विसर्ग का उच्चारणस्थान कण्ठ्य होता है।
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तालव्य
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इचुयशानां तालुः
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इ, च वर्ग (च्, छ्, ज्, झ्, ञ्) य् और श् का उच्चारणस्थान तालव्य होता है।
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मूर्द्धन्य
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ऋटुरषाणां मूर्द्धा
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ऋ, ट वर्ग (ट्, ठ्, ड्, ढ्, ण्) र् और ष् का उच्चारणस्थान मूर्धा होता है।
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दन्त्य
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लृतुलसानां दन्ताः
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लृ, त वर्ग (त्, थ्, द्, ध्, न्) ल् और स् का उच्चारणस्थान दन्त्य होता है।
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ओष्ठ्य
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उपूपध्मानीयानां ओष्ठौ
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उ, प वर्ग (प्, फ्, ब्, भ्, म्) उपधमानीय ( ऍ, ऑ) का उच्चारणस्थान ओष्ठ्य है।
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नासिक्य
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ञमङणनानां नासिका च
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ञ्, म्, ङ्, ण्, न् और अनुनासिक का उच्चारणस्थान नासिका होता है।
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अतः, उपर्युक्त पंक्तियों से स्पष्ट है कि ‘अकुहविसर्जनीयानां कण्ठः' से अ, क वर्ग (क्, ख्, ग्, घ्, ङ्) ह् और विसर्ग का उच्चारणस्थान कंठ्य होता है।'