Correct Answer - Option 2 : रूपक
उक्त पँक्तियों रूपक अलंकार का प्रयोग किया गया है, क्योंकि रूपक अलंकार के नियम के अनुसार उक्त पँक्तियों में भी 'तारा-घट' अर्थात दोनों भिन्न गुणों को एक समान बताकर प्रदर्शित करना ही, रूपक अलंकार कहलाता है।
अत: सही विकल्प 2) रूपक अलंकार होगा।
रूपक अलंकार की मुख्य परिभाषा -
- उपमेय पर उपमान का आरोप या उपमान और उपमेय का अभेद ही 'रूपक' है।
- जब उपमेय पर उपमान का निषेध-रहित आरोप करते हैं, तब रूपक अलंकार होता है। उपमेय में उपमान के आरोप का अर्थ है- दोनों में अभिन्नता या अभेद दिखाना। इस आरोप में निषेध नहीं होता है।
- जैसे- यह जीवन क्या है ? निर्झर है।''
- इस उदाहरण में जीवन को निर्झर के समान न बताकर जीवन को ही निर्झर कहा गया है। अतएव, यहाँ रूपक अलंकार हुआ।
दूसरा उदाहरण-
- बीती विभावरी जागरी ! अम्बर-पनघट में डुबो रही तारा-घट ऊषा नागरी।
- यहाँ, ऊषा में नागरी का, अम्बर में पनघट का और तारा में घट का निषेध-रहित आरोप हुआ है। अतः यहाँ रूपक अलंकार है।
अन्य अलंकार
अलंकार
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परिभाषा
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उदाहरण
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अनुप्रास
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एक ही वर्ण की एक से अधिक बार पुनरावृत्ति जिस अलंकार में हो, अनुप्रास अलंकार कहलाता है।
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मधुर- मधुर मुस्कान मेरे मोहन की, देख मेरा मन मंद मंद मुस्काये रे
यहाँ म वर्ण का आगमन एक से अधिक बार हो रहा है, अत: यहाँ अनुप्रास अलंकार होगा।
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वक्रोक्ति
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'वक्रोक्ति' का अर्थ है 'वक्र उक्ति' अर्थात 'टेढ़ी उक्ति'। कहनेवाले का अर्थ कुछ होता है, किन्तु सुननेवाला उससे कुछ दूसरा ही अभिप्राय निकाल लेता है।
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खड़ी यमुना के तीर, मोहे पार लगा दे कान्हा अर्थात यहाँ यमुना नदी से पार और भव सागर से पार जाने की बात कही जा रही है।
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उपमेयोउपमा
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उपमेय और उपमान की तुलना करना अर्थात दोनों को एक दूसरे के समान बताना, उपमेयउपमा अलंकार कहलाता है।
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जैसे-
कृष्ण मुख चन्द्रमा सी छवि, अर्थात मुख चाँद के समान बताया गया है और साथ ही चाँद की तुलना कृष्ण के मुख से की गई है।
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