दहेज प्रथा को समाप्त करने के लिए वर्ष 1961 में एक विधेयक पारित किया गया, जिसे दहेज निरोधक अधिनियम’ के नाम से जाना जाता है। इस अधिनियम के अनुसार दहेज लेना और देना दण्डनीय अपराध है। अधिनियम 1961 में कुछ मुख्य शर्ते में शामिल है, जो इस प्रकार है
⦁ विवाह के पूर्व या बाद में जिन वस्तुओं की माँग की जाएगी, वे दहेज के दायरे में आती हैं।
⦁ दो हजार रुपये तक के उपहार देने की क्रूट हैं, जिनमें वस्त्र जपा आभूषण शमिल हैं।
⦁ विवाह के पहले या बाद में मिली वस्तुओं पर पूर्णरूप से लड़की का अधिकार होगा।
⦁ दहेज देने और लेने के लिए 8 माह का कारस और ₹ 5,000 के इण का प्रधान है।
⦁ दहेज सम्बन्धी अपराध की सुनवाई प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट ही कर सकता है तथा इस तरह की शिकायत लिक्षित होनी चाहिए।