भारत में राष्ट्रीय जनसंख्या शिक्षा कार्यक्रम को 1 अप्रैल, 1980 से प्रारम्भ किया गया। शिक्षा की औपचारिक और अनौपचारिक पद्धतियों के साथ जनसंख्या शिक्षा को जोड़ा गया जिससे कि विद्यार्थियों और युवा पीढ़ी में जनसंख्या के प्रति एक स्वस्थ दृष्टिकोण का विकास हो सके। इस कार्यक्रम को सभी राज्यों और संघीय क्षेत्रों में चलाया जा रहा है। कार्यक्रम के संचालन हेतु केन्द्र सरकार ने एक उच्च अधिकार प्राप्त संचालन समिति का गठन किया है। देश की विभिन्न शिक्षण-संस्थाओं में जनसंख्या शिक्षा के प्रसार का दायित्व राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान प्रशिक्षण परिषद् के सुपुर्द किया गया। । विद्यालय स्तर पर यह एक अलग विषय के रूप में नहीं बल्कि विभिन्न विषयों के साथ सम्मिलित करके पढ़ाया जाता है। इस समय तक लगभग 16 लाख शिक्षकों को जनसंख्या शिक्षा में प्रशिक्षित किया गया है और श्रव्य-दृश्य साधनों के रूप में हिन्दी और अंग्रेजी भाषा में स्लाइडों को तैयार किया गया है, जिन्हें सभी राज्यों में वितरित किया गया है।
शिक्षकों के हेतु जनसंख्या शिक्षा नामक पुस्तक भी प्रकाशित की गयी है जिसमें बी०एड० के सेवा पूर्व शिक्षक प्रशिक्षण के हेतु पाठ्यचर्या सम्मिलित की गयी है। ‘यूनेपा’ (UNEPA) के सहयोग से भारत ने “मेरे बच्चे, मेरा भविष्य” नामक श्रव्य-दृश्य कार्यक्रम तैयार किया है। वर्तमान समय में 800 लाख छात्रों को जनसंख्या शिक्षा की जानकारी प्रदान की जा रही है। जनसंख्या शिक्षा पर राष्ट्रीय स्तर और राज्य स्तर पर लगभग 400 पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। ‘राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसन्धान प्रशिक्षण परिषद् ने स्कूली पाठ्यचर्या में जनसंख्या शिक्षा के हेतु ‘प्लग प्वाइंट्स नामक दस्तावेज का प्रकाशन किया है जिसके आधार पर राज्यों और संघीय क्षेत्रों में पाठ्यचर्या निर्मित की गयी है।
साथ ही जनसंख्या शिक्षा से सम्बन्धित प्रदर्शनी, पोस्टर, निबन्ध लेखन प्रतियोगिता, कार्यशाला और सेमिनारों आदि का आयोजन भी किया जाता है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग देश के कई विश्वविद्यालयों में जनसंख्या शिक्षा केन्द्रों और कॉलेजों की स्थापना कर रहा है। विभिन्न एजेंसियों से प्राप्त जनसंख्या शिक्षा सामग्री की एक निर्देशिका भी तैयार की गयी है जिसे जनसंख्या शिक्षा संस्थानों में वितरित किया गया है। जनसंख्या शिक्षा संस्थान कॉलेजों के नवयुवकों एवं समुदाय के लोगों हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम चला रहा है। स्कूली शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा, उच्च शिक्षा, दस्तकारों एवं नागरिकों के हेतु व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम में जनसंख्या शिक्षा कार्यक्रम को भी जोड़ दिया गया है। अनौपचारिक शिक्षा केन्द्रों में भी जनसंख्या शिक्षा को जोड़ा गया है। जनसंख्या शिक्षा पर राष्ट्रीय स्रोत’ नामक पुस्तिका का प्रकाशन किया गया है जिसमें प्रारम्भिक शिक्षा के शिक्षकों के प्रशिक्षण हेतु जनसंख्या शिक्षा पाठ्यचर्या सम्मिलित की गयी है।
अन्तर्राष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान मुम्बई से जनसंख्या शिक्षा की मूल्यांकन रिपोर्ट प्राप्त करके आठवीं तथा नवीं पंचवर्षीय योजना में जनसंख्या शिक्षा कार्यक्रम और अधिक तेज करने का संकल्प रखा गया और 1986 ई० की राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप जनसंख्या शिक्षा के प्रशिक्षण को ग्रहण करने के हेतु जिला शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थान, अध्यापक शिक्षा कॉलेज और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् के साथ सक्रिय सहयोग स्थापित किया गया। प्रशिक्षण के लिए इलेक्ट्रॉनिक प्रचार माध्यमों के उपयोग को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। कुछ राज्यों में प्रौढ़ शिक्षा के साथ जनसंख्या शिक्षा कार्यक्रम को जोड़ा गया है। जनसंख्या शिक्षा में लगे राज्य संसाधन केन्द्रों की संख्या निरन्तर बढ़ती जा रही है और प्रशिक्षार्थियों को स्वास्थ्य, परिवार, कल्याण, रोग प्रतिरक्षण और जनसंख्या समस्याओं के प्रति जागरूक किया जा रहा है।