Use app×
QUIZARD
QUIZARD
JEE MAIN 2026 Crash Course
NEET 2026 Crash Course
CLASS 12 FOUNDATION COURSE
CLASS 10 FOUNDATION COURSE
CLASS 9 FOUNDATION COURSE
CLASS 8 FOUNDATION COURSE
0 votes
386 views
in Psychology by (51.3k points)
closed by

स्मृति के विभिन्न प्रकार कौन-कौन से हैं?

या

संवेदी, अल्पकालीन तथा दीर्घकालीन स्मृति के अर्थ को स्पष्ट कीजिए।

या

अल्पकालीन तथा दीर्घकालीन स्मृति को स्पष्ट कीजिए।

1 Answer

+1 vote
by (55.1k points)
selected by
 
Best answer

स्मृति के मुख्य प्रकार

व्यक्ति एवं समाज के सन्दर्भ में स्मृति का अत्यधिक महत्त्व है। स्मृति के आधार पर ही जीवन की निरन्तरता बनी रहती है। स्मृति की प्रक्रिया का मनोविज्ञान में व्यवस्थित अध्ययन किया जाता है। इस अध्ययन के अन्तर्गत स्मृति के प्रकारों का भी निर्धारण भिन्न-भिन्न आधारों पर किया गया है। स्मृति के एक प्रकार को संवेदी स्मृति (Sensory Memory) के रूप में वर्णित किया गया है। संवेदी स्मृति से आशय उस स्मृति से है जिसके अन्तर्गत ज्ञानेन्द्रियों के स्तर पर पंजीकृत सूचनाओं को कुछ क्षणों के 
लिए ज्यों-का-त्यों भण्डारित किया जाता है। इसके अतिरिक्त स्मृति के प्रकारों का निर्धारण धारणा के आधार पर भी किया गया है। इस आधार पर स्मृति के दो प्रकार निर्धारित किये गये हैं। ये प्रकार हैं-क्रमशः अल्पकालीन स्मृति तथा दीर्घकालीन स्मृति। जब किसी विषय को याद करने के अल्प समय अर्थात् कुछ मिनट के उपरान्त धारणा को परीक्षण द्वारा ज्ञात किया जाता है तो धारणा की उस मात्रा को अल्पकालीन स्मृति के रूप में जाना जाता है। जब किसी विषय को याद करने के कुछ अधिक समय अर्थात् कुछ घण्टों या कुछ दिनों के उपरान्त धारणा का मापन किया जाता है, तब प्राप्त निष्कर्ष अर्थात् धारणा की मात्रा को दीर्घकालीन स्मृति के रूप में जाना जाता है। सामान्य रूप से अल्पकालीन एवं दीर्घकालीन स्मृति में स्पष्ट अन्तर होता है। वैसे कुछ मनोवैज्ञानिकों का मत है कि अल्पकालीन एवं दीर्घकालीन स्मृति में केवल मात्रा का अन्तर होता है। उनमें किसी प्रकार का मौलिक अन्तर नहीं होता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि स्मृति के तीन प्रकार हैं—संवेदी स्मृति, अल्पकालीन स्मृति तथा दीर्घकालीन स्मृति। स्मृति के इन तीनों प्रकारों का सामान्य परिचय एवं विवरण निम्नलिखित है–

(1) संवेदी स्मृति (Sensory Memory)- स्मृति के एक प्रकार को संवेदी स्मृति के नाम से जाना जाता है। जब स्मृति की प्रक्रिया के दैहिक सक्रियता के स्तर को ध्यान में रखा जाता है, तब स्मृति को संवेदी स्मृति कहा जाता है। संवेदी स्मृति के अन्तर्गत उस स्मृति को स्थान दिया जाता है जो विभिन्न ज्ञानेन्द्रियों के स्तर पर पंजीकृत सूचनाओं को ज्यों-का-त्यों कुछ क्षण के लिए भण्डारित किया जाता हैं। मनोवैज्ञानिकों के अनसारे, व्यक्ति की ज्ञानेन्द्रियों के स्तर पर बाहरी उद्दीपकों के माध्यम से प्राप्त सूचनाओं के पंजीकरण एवं इस प्रकार से पंजीकृत सूचनाओं के ज्ञानेन्द्रियों में अल्प समय के लिए रुके रहने को प्रत्यक्षीकरण का आधार माना गया है। यह भी स्पष्ट किया गया है कि सांवेदिक भण्डार में पंजीकृत सूचनाएँ अपने मौलिक रूप में केवल अल्प समय अर्थात् कुछ क्षणों के लिए ही संचित रहती। हैं। कुछ विद्वानों ने तो इस अवधि को मात्र एक सेकण्ड ही माना है। संवेदी स्मृति के स्वरूप के स्पष्टीकरण के लिए हम एक उदाहरण भी प्रस्तुत कर सकते हैं।
जब किसी ठोस धातु पर किसी अन्य ठोस वस्तु से प्रहार किया जाता है तो इस प्रहार के परिणामस्वरूप एक तीव्र ध्वनि उत्पन्न होती है। इस ध्वनि की गूंज हमारे कानों में कुछ समय तक बनी रहती है। इसी को हम संवेदी स्मृति के रूप में जानते हैं। प्रस्तुत उदाहरण में पायी जाने वाली संवेदी स्मृति को श्रवण सम्बन्धी संवेदी स्मृति माना जाएगा। इसी प्रकार अन्य ज्ञानेन्द्रियों से सम्बन्धित भिन्न-भिन्न प्रकार की संवेदी स्मृति भी पायी जाती है। जहाँ तक मनोवैज्ञानिक अध्ययनों का प्रश्न है, उनमें सामान्य रूप से चाक्षुष संवेदी स्मृति तथा श्रवणात्मक संवेदी स्मृति का ही मुख्य रूप से व्यवस्थित अध्ययन किया जाता है। नाइस्सेर नामक मनोवैज्ञानिक ने चाक्षुष संवेदी स्मृति को प्रतिचित्रात्मक स्मृति (Iconic Memory) तथा श्रवणात्मक संवेदी स्मृति की। प्रतिध्वन्यात्मक स्मृति (Echoic Memory) कहा है। |

(2) अल्पकालीन स्मृति (Short-term Memory)- धारणा के आधार पर किये गये स्मृति के वर्गीकरण में स्मृति के एक प्रकार को अल्पकालीन स्मृति कहा गया है। सामान्य रूप से व्यक्ति द्वारा सम्बन्धित विषय को सीखने अथवा स्मरण करने के अल्प समय के उपरान्त यदि उसकी धारणा का परीक्षण किया जाए तो उस दशा में धारणा की जो मात्रा ज्ञात होती है, उसी को मनोविज्ञान की भाषा में अल्पकालीन स्मृति कहा जाता है। यहाँ अल्पकाल से आशय एक या कुछ मिनट ही होता है। इस प्रकार की स्मृति का सम्बन्ध एक बार के अनुभव यो सीखने से संचित होने वाली सामग्री से होता है। अल्पकालीन स्मृति को मनोवैज्ञानिकों ने एक प्रकार की जैव-वैद्युतिक प्रक्रिया के रूप में स्वीकार किया है। उन्होंने इसका स्थायित्व अधिक-से-अधिक 30 सेकण्ड माना है।

(3) दीर्घकालीन स्मृति (Long-term Memory)- धारणा के आधार पर किये गये स्मृति के वर्गीकरण के अन्तर्गत स्मृति के दूसरे प्रकार को दीर्घकालीन स्मृति कहा गया है। दीर्घकालीन स्मृति से आशय उस पुन:स्मरण से है जो किसी विषय के स्मरण के दीर्घकाल के उपरान्त होता है। यह काल या. अवधि कुछ मिनट, कुछ घण्टे, कुछ दिन या कुछ वर्ष भी हो सकती है। दीर्घकालीन स्मृति के अन्तर्गत धारणा के ह्रास की दर कम होती है। हम कह सकते हैं कि इस स्मृति के सन्दर्भ में विस्मरण देर से तथा अपेक्षाकृत रूप से कम होता है। इस तथ्य का स्पष्टीकरण प्रस्तुत करते हुए कहा गया है कि स्मरण
की गयी विषय-सामग्री का व्यक्ति के मन में होने वाला संचय, जैव-रसायन प्रतिमानों पर आधारित होता है। यह भी स्पष्ट किया गया है कि दीर्घकालीन स्मृति का सम्बन्ध मस्तिष्क के सेरिबेलट काटेंक्स के भूरे पदार्थ के गैगलिओनिक कोशों से होता है। यहाँ यह भी उल्लेख कर देना आवश्यक है कि जैसे-जैसे अधिगम में अभ्यास की वृद्धि होती है, वैसे-वैसे व्यक्ति की धारणा में होने वाला ह्रास घटता जाता है। इसका कारण यह है कि अभ्यास के परिणामस्वरूप व्यक्ति की धारणा क्रमशः सब होती रहती है।

Related questions

Welcome to Sarthaks eConnect: A unique platform where students can interact with teachers/experts/students to get solutions to their queries. Students (upto class 10+2) preparing for All Government Exams, CBSE Board Exam, ICSE Board Exam, State Board Exam, JEE (Mains+Advance) and NEET can ask questions from any subject and get quick answers by subject teachers/ experts/mentors/students.

Categories

...