कम्पन्न करने वाली प्रत्येक वस्तु ध्वनि उत्पन्न करती है और जब ध्वनि की तीव्रता अधिक हो जाती है तो वह कानों को अप्रिय लगने लगती है। इस अप्रिय अथवा उच्च तीव्रता वाली ध्वनि को शोर कहा जाता है। तीखी ध्वनि या आवाज को शोर कहते हैं। ध्वनि की तीव्रता नापने की इकाई डेसीबेल (decibel or dB) है जिसका मान 0 से लेकर 120 तक होता है। डेसीबेल पैमाने पर ‘शून्य’ ध्वनि की तीव्रता का वह स्तर है जहाँ से ध्वनि सुनाई देनी आरम्भ होती है। 85 से 95 डेसीबेल शोर सहने लायक और 120 डेसीबेल या उससे अधिक का शोर असह्य होता है।
ध्वनि-प्रदूषण के स्रोत – ध्वनि-प्रदूषण मुख्यत: दो प्रकार के स्रोतों से होता है-
1. प्राकृतिक स्रोत – बिजली की कड़क, बादलों की गड़गड़ाहट, तेज हवाएँ, ऊँचे स्थान से गिरता जल, आँधी, तूफान, ज्वालामुखी का फटना एवं उच्च तीव्रता वाली जल-वर्षा।
2. कृत्रिम स्रोत – ये स्रोत मानवजनित हैं; उदाहरणार्थ-मोटर वाहनों से उत्पन्न होने वाला शोर, वायुयान, रेलगाड़ी तथा उसकी सीटी से होने वाला शोर, लाउडस्पीकर एवं म्यूजिक सिस्टम से होने वाला शोर, टाइपराइटर की खड़खड़ाहट, टेलीफोन की घण्टी आदि से होने वाला शोर।