भारतीय संविधान की प्रस्तावना से यह बात स्पष्ट रूप से घोषित की गई है कि भारत एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, लोकतन्त्रात्मक, धर्मनिरपेक्ष समाजवादी गणराज्य है। इसका अर्थ यह है कि अब भारत पर्ण रूप से स्वतन्त्र है और वह किसी भी बह्य सत्ता के अधीन नहीं है। सम्पूर्ण भारतीय जनता ही शक्ति का स्रोत है। इसका विवेचन निम्नलिखित रूप से किया जा सकता है
1. सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न- हमारे संविधान में यह पूर्ण रूप से स्पष्ट है कि भारत अपने आन्तरिक तथा बाह्य दोनों क्षेत्रों में
पूर्णतया स्वतन्त्र है। वह किसी भी अन्तर्राष्ट्रीय सन्धि को मानने के लिए बाध्य नहीं है। भारतीय संविधान में कहीं भी ब्रिटिश शासन का उल्लेख नहीं है। यद्यपि भारत राष्ट्रमण्डल का सदस्य है, किन्तु वह अपनी इच्छानुसार उससे पृथक भी हो सकता है। श्री जी० एन० जोशी के अनुसार, “भारत राष्ट्रमण्डल का सदस्य इसलिए बना है, क्योंकि ऐसा करना उसके हित तथा लाभ में है।
2. लोकतान्त्रिक- भारतीय संविधान के अनुसार भारतीय शासन लोकतन्त्रात्मक है। समस्तमहत्त्वपूर्ण प्रश्नों पर अन्तिम निर्णय जनता का होगा। शासन की वास्तविक शक्ति जनता में निहित है। भारत की स्वर्गीया प्रधानमन्त्री श्रीमति इन्दिरा गाँधी ने पुनः सत्ता में आने के बाद कहा था, “लोकतन्त्र हमारे लिए केवल राजनीतिक नारा नहीं, बल्कि जीवन-दर्शन है। लोकतन्त्र सिर्फ बहुमत के लिए नहीं सभी के लिए है। आज लोकतन्त्र को बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय से बढ़कर सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय तक ले जाना है।”
3. धर्मनिरपेक्ष- भारत में सभी व्यक्तियों को धार्मिक स्वतन्त्रता प्रदान की गयी। राज्य किसी विशेष धर्म का संरक्षण नहीं करता, अपितु उसकी दृष्टि में सभी धर्म समान है। प्रत्येक व्यक्ति अपनी इच्छानुसार किसी भी धर्म को ग्रहण कर सकता है। इस प्रकार भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है। संविधान संशोधन द्वारा इसे और स्पष्ट कर दिया है।
4. समाजवादी- कांग्रेस का उद्देश्य प्रारम्भ से ही भारत में समाजवाद की स्थापना करना रहा है। उसका उद्देश्य धर्मनिरपेक्षता पर आधारित समाजवादी समाज की रचना के लिए प्रयत्नशील रहना पड़ा है। संविधान के निर्माताओं का अभिप्राय था कि भारतीय समाज की परम्परागत विषमताओं को दूर करके आर्थिक, सामाजिक तथा राजनीतिक समता के आधार पर एक प्रगतिशील समाज की स्थापना करें। विषमताओं तथा शोषण से मुक्ति का एकमात्र उपाय समाजवादी समाज की स्थापना भी हो सकता है। संविधान में प्रयुक्त समाजवादी एवं धर्मनिरपेक्ष राज्य का यही अर्थ है। भारतीय संविधान में समाजवाद शब्द के साथ लोकतन्त्रात्मक शब्द को भी रखा गया है। इससे यह स्पष्ट है कि भारतीय संविधान एक लोकतान्त्रिक समाजवाद की परिकल्पना करता है।
(5) गणराज्य- भारतीय राज्य गणराज्य इसलिए है, क्योंकि भारत का प्रावधान वंशानुगत शासन नहीं है, अपितु वह अप्रत्यक्ष | रूप से जनता द्वारा निर्वाचित राष्ट्रपति है। वह जनता के प्रतिनिधि मन्त्रिमण्डल के परामर्श से शासन करता है। जनता के प्रतिनिधियों को समस्त शक्तियाँ प्रदान की गई हैं।