पत्तन का वह भाग जहाँ जलयान ठहरते हैं एवं यात्रियों व माल का लदान करते हैं, पोताश्रय कहलाता है
ये दो प्रकार के होते हैं-
(i) प्राकृतिक तथा
(ii) कृत्रिम।
कुछ पत्तन पोताश्रयविहीन होते हैं, जहाँ माल की लदाई व उतराई खुले तटों पर होती है। उत्तम पोताश्रय में निम्नलिखित आठ गुण पाए जाते हैं
⦁ पवन तथा समुद्री लहरों से सुरक्षा होनी चाहिए। इस दृष्टि से मुम्बई का प्राकृतिक पोताश्रय उत्तम है। किन्तु चेन्नई में कंकरीट की तरंग-अवरोधी दीवारयुक्त कृत्रिम पोताश्रय बनाया गया है। संयुक्त
राज्य अमेरिका में हाउस्टन पत्तन की लहरों से सुरक्षा करने के लिए समुद्री नहर बनाई गई है।
⦁ तट के निकट जल की गहराई 30 मीटर तक होनी चाहिए। न्यूयॉर्क, एण्टवर्प, रॉटरडम, शंघाई आदि पत्तनों के निकट उथले समुद्री तट के कारण निरन्तर पोताश्रय का तलमार्जन (dredging) कराना पड़ता है।
⦁ जलयानों को लंगर डालने के लिए पर्याप्त विस्तृत स्थान आवश्यक है।
⦁ पोताश्रय द्वार पर्याप्त चौड़ा, सीधा व गहरा होना चाहिए।
⦁ उच्च एवं निम्न ज्वार में 5 मीटर से अधिक अन्तर नहीं होना चाहिए।
⦁ शीतकाल में पोताश्रय हिमरहित होना चाहिए। मॉण्ट्रियल, अर्केन्जिल, ब्लाडीवोस्टक आदि पत्तनों को हिम भंजकों का प्रयोग करना पड़ता है।
⦁ कोहरे व धुंधरहित पोताश्रय उपयुक्त रहते हैं।
⦁ पोताश्रय में घाट, गोदाम, वैल्ट लाइन व रेलपथ, पारगमन शेड आदि अग्रान्त सुविधाएँ (terminal facilities) होना आवश्यक है।
उपर्युक्त दृष्टि से लन्दन, लिवरपूल, न्यूयॉर्क, सैनफ्रांसिस्को, बोस्टन, लीहार्वे, एण्टवर्प, हैम्बर्ग, रियोडिजेनेरो, सिडनी आदि विश्व के उत्तम पत्तन हैं।